जानिए कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान के महत्व के बारे में

नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में जो मान्यता है उसके अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन देवता जाग जाते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवता मां यमुना तट पर स्नान कर दिवाली का उत्सव मनाते हैं. इस पूरे माह में पवित्र नदियों में स्नान करने का प्रचलन और महत्व है. कार्तिक मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं. एक मान्यता के अनुसार मदनपारिजात में कहा गया है कि कार्तिक महीने में जो भी इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करनता है उसे महान पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसी बात भी सुनने को मिलती है कि खासकर पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है. भक्त जहाँ यमुना में स्नान करने पहुंचते हैं वहीं गंगा, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र तथा पुष्कर आदि तीर्थों में स्नान करने के लिए भी लोग बढ़ी संख्या में जाते हैं।
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दिए जलाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं इसीलिए दीपदान का बहुत महत्व है. कार्तिक मास में भगवान श्रीहरि विष्णु या उनके अवतारों के सामने दीपदान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
मान्यता के अनुसार नदी, सरोवर, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से संकट समाप्त होते हैं और अकाल मृत्यु नहीं होती है. इसके साथ ही यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से जातक बचे रहते हैं. इसीलिए सभी तरह के संकटों से बचने के लिए व्यक्ति को दीपदान करने की सलाह दी जाती है. दीपदान करने से व्यक्ति कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है.
मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा की संध्या बेला में त्रिपुरोत्सव करके- कीटा: पतंगा मशकाश्च वृक्षे जले स्थले ये विचरन्ति जीवा:, दृष्ट्वा प्रदीपं नहि जन्मभागिनस्ते मुक्तरूपा हि भवति तत्र से दीपदान करें तो पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता है साथ ही अपने पितृों के मोक्ष के लिए भी लोग दीपदान करते हैं.
मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा के तट पर स्नान कर दीप जलाकर देवताओं से किसी मनोकामना को लेकर प्रार्थना करें तो फिर किसी भी तरह की पूजा या मांगलिक कार्य की और आपकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
मान्यता के अनुसार घर में धन समृद्धि बनी रहे इसीलिए भी करते हैं दीपदान। लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा हेतु करते हैं दीपदान।

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