अडानी ने बनाया ‘मास्टर प्लान’, 5 लाख करोड़ से डालेंगे इकोनॉमी में जान
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नई दिल्ली। एशिया के दूसरे अमीर कारोबारी गौतम अडानी ने अगले पांच साल का मास्टर प्लान सामने रख दिया है. इन 5 सालों में हर साल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया जाएगा. इसका मतलब है कि पाच साल में गौतम अडानी 5 लाख करोड़ रुपए यानी 57.16 बिलियन डॉलर खर्च करने की प्लानिंग कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने अगले पांच वर्षों में इक्विटी बेचकर 12.5 बिलियन से अधिक जुटाने की योजना बनाई है. अडानी ग्रुप के ग्रुप सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने कहा कि पांच साल के लिए औसत कैपेक्स 1 लाख करोड़ से थोड़ा ऊपर होगा. अगले पांच सालों में हम औसतन हर साल 2.5 अरब डॉलर की इक्विटी जुटाएंगे. फंड रेजिंग या तो राइट्स इश्यू या क्यूआईपी (योग्य संस्थागत प्लेसमेंट) के माध्यम से होगी.
अडानी ग्रुप ने 2019 और 2024 के बीच इक्विटी में 13.8 बिलियन डॉलर जुटाए, जो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद किसी भारतीय ग्रुप की ओर से सबसे बड़ी फंड रेजिंग थी. यह पैसा अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस और अडानी टोटल गैस द्वारा जुटाया गया था. अगले पांच वर्षों में कैपेक्स का लगभग 85 फीसदी यूजर्स पर खर्च किया जाएगा, जिसमें ग्रीन एनर्जी, बिजली और पॉवर ट्रां?समिशन, साथ ही एयरपोर्ट और पोर्ट शामिल हैं. शेष 15 फीसदी मेटल, सामग्री, तांबा और खनन सहित अन्य पर खर्च किया जाएगा. फरवरी की एनालिस्ट प्रेजेंटेशन के अनुसार, 30 सितंबर, 2024 तक, अडानी के पास 53,024 करोड़ रुपए कैश था, ग्रॉस लोन का 20.5 फीसदी दर्शाता है. उन्होंने कहा, 2028-29 तक, एबिटा का नेट लोन 3 गुना हो जाएगा. साथ ही एनुअन कैश फ्लो लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ जाएगा.
जैसे-जैसे कुछ व्यवसाय चालू हो रहे हैं, नेट लोन 2028 से घटकर 2031 तक लगभग 1.3 गुना होने की उम्मीद है. समूह ने पिछले महीने एक दशक लंबी 100 बिलियन डॉलर की कैपेक्स योजना तैयार की. ग्रुप ने कि हम केवल वही घोषणा करते हैं जो हम एग्जीक्यूट कर सकते हैं, चला सकते हैं और खुद को फाइनेंस कर सकते हैं. समूह ने 10 साल में पोस्ट टैक्स कैश फ्लो में 97-98 बिलियन डॉलर का अनुमान लगाया है, जो इसके 100 बिलियन डॉलर कैपेक्स के लगभग बराबर है. सिंह ने कहा कि अडानी ग्रुप का इन्फ्रा मॉडल असेट पूरी होने के बाद एकाधिकार जैसा रिटर्न देता है, जिसमें रेवेन्यू का केवल 5-6 फीसदी रखरखाव कैपेक्स होता है, जबकि अन्य बुनियादी ढांचे और मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस जैसे बड़े कैपेक्स वाले बिजनेस में आम तौर पर 30-40 फीसदी देखा जाता है.
जैसे-जैसे ग्रुप का कैपेक्स साइकिल बदलता है, घरेलू बैंक का जोखिम बढ़ेगा जबकि विदेशी लेंडर्स का जोखिम घटेगा. सिंह ने कहा कि आम तौर पर, हमारी बैंकिंग का 40 फीसदी वैश्विक पूंजी है और 40 प्रतिशत घरेलू है, शेष 20 फीसदी प्रोजेक्ट फेज के आधार पर ट्रांसफर होता है. जैसे ही हम भारी कैपिटल एक्सपेंडिचर करेंगे, घरेलू एक्सपोजर 50 फीसदी तक बढ़ जाएगा.पिछले साल सितंबर के अंत में अडानी ग्रुप का कुल कर्ज 2.58 लाख करोड़ रुपए था. जानकारों के अनुसार, इसमें से घरेलू बैंकों की हिस्सेदारी 42 फीसदी और ग्लोबल बैंकों की हिस्सेदारी 27 फीसदी थी.