भगवान शिव के सावन में इन मंदिरों में करें दर्शन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
सावन का पवित्र माह शुरू हो गया है। कांवडिय़ों का हुजूम देखने को मिल रहा है। शिवालयों में जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना हो रही है। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका युगों-युगों से नाता है। इस पूरे माह श्रद्धालु भोलेनाथ की अराधना करते हैं। माना जाता है कि अगर भक्त सच्चे दिल से महादेव की पूजा करते हैं, तो उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है। भक्तों को इस महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। कहा जाता है कि सावन महीन में हर रोज महादेव की भक्ति करने पर घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास रहता है। इस महीने में हर शिव मंदिर में काफी तादाद में भक्तों की भीड़ उमड़ती हैं। इस खास मौके पर शिव के दर्शन और पूजन कर भक्त खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं। ऐसे में आप देश के कुछ प्रसिद्ध शिव मंदिरों में जाने की सोच सकते हैं जहां आप भोलेनाथ का दर्शन कर सकते हैं। भगवान शिव ब्रम्हांड के निर्माता और सृष्टि रचने वाले प्रमुख तीन देवताओं में से एक हैं। शिव भगवान की शिवलिंग, रुद्राक्ष सहित कई तरह के रूपों में पूजा की जाती है।

सोमनाथ मंदिर

भारत प्राचीन काल से ऋ षि-मुनियों और संतो की तपोभूमि रहा है। यहां अनेकों तीर्थ स्थल है जो लोगों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। ऐसा ही एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है सोमनाथ का मंदिर जिसका उल्लेख स्कंदपुराण, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराण और ऋ ग्वेद आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है। गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। त्रिवेणी संगम पर स्थित यह मंदिर गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित है। सावन में भक्तों की यहां बड़ी संख्या में भीड़ होती है।

कैलाश मंदिर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के औरंगाबाद की 34 एलौरा की गुफाओं मेंं स्थित यह भारत के सबसे बेहतरीन शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। इसे एलोरा के कैलाश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटा गया था। यह एलोरा में मौजूद 34 मंदिरों का एक हिस्सा है। यह मंदिर 8वीं शताब्दी में बनाया गया था। सावन में इस मंदिर का दीदार जरूर करें। माना जाता है कि कैलाश मंदिर राष्ट्रकुल राजा कृष्ण प्रथम ने (756-773ई.) के दौरान बनवाया था। इसके अतिरिक्त इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य, बनाने की टेक्नोलॉजी, बनाने वाले का नाम जैसी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

मुरुदेश्वर मंदिर

मुरुदेश्वर भगवान शिव का ही एक नाम है। उत्तरी कर्नाटक में स्थित मुरुदेश्वर मंदिर भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह स्थान भगवान शिव की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। यहां 123 फीट ऊंची शिव प्रतिमा है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण इसके आसपास का सुंदर परिदृश्य है। मूर्ति के पास एक 20 मंजिला मंदिर बनाया गया है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के पास एक लिफ्ट भी बनाई गई है, जिससे पर्यटक विशाल प्रतिमा के शानदार दृश्य का आनंद ले सकते हैं। रामायण काल में भी इस मंदिर का जिक्र होता है। रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे एक शिवलिंग दिया था। इस प्रतिमा को बाने में दो साल का समय लगा था और करीब 5 करोड़ का खर्च आया था। विदेशों से भी पर्यटक यहां दर्शन के लिए आते हैं।

लिंगराज मंदिर

आप सावन में लिंगराज मंदिर का भी दर्शन करने का प्लान कर सकते हैं। यह देश के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है। यह भुवनेश्वर का सबसे बड़ा मंदिर है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सोमवंसी राजवंश द्वारा किया गया है। इस मंदिर का दर्शन करने के लिए अच्छा समय सावन माना जाता है।

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