कोरोना मरीजों के इलाज पर कोर्ट की टिप्पणी के मायने
sanjay sharma
सवाल यह है कि हर बार जनहित के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को दखल क्यों देना पड़ता है? क्या संकट काल में निजी अस्पतालों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? क्या रोगियों को कम खर्च पर जरूरी इलाज मुहैया नहीं कराया जा सकता है? निजी अस्पतालों पर सरकार नकेल कसने में नाकाम क्यों है? क्या संकट काल में निजी अस्पतालों के लिए कोई गाइडलाइन जारी नहीं की जा सकती है?
दुनिया में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। भारत में मरीजों की संख्या नौ लाख 68 हजार को पार कर गई है जबकि 24915 लोगों की मौत हो चुकी है। मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ देश की चिकित्सा व्यवस्था पर बोझ बढ़ता जा रहा है। वहीं निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के इलाज के नाम पर मनमानी रकम वसूल रहे हैं। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि कोई भी कोरोना संक्रमित धन के अभाव में अस्पताल से बिना इलाज वापस नहीं जाए। साथ ही कोर्ट ने केंद्र और निजी अस्पतालों से इलाज की कीमतें तय करने को कहा है। सवाल यह है कि हर बार जनहित के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को दखल क्यों देना पड़ता है? क्या संकट काल में निजी अस्पतालों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? क्या रोगियों को कम खर्च पर जरूरी इलाज मुहैया नहीं कराया जा सकता है? निजी अस्पतालों पर सरकार नकेल कसने में नाकाम क्यों है? क्या संकट काल में निजी अस्पतालों के लिए कोई गाइडलाइन जारी नहीं की जा सकती है? क्या गरीबों को बेहतर चिकित्सा सुविधा पाने का अधिकार नहीं है? क्या सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है?
अनलॉक के साथ ही देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार तेज हो गई है। रोजाना 28 हजार से अधिक नए केस आ रहे हैं। इसकी असली वजह लोगों द्वारा कोरोना से बचाव के लिए जारी सरकारी गाइड लाइन का पालन नहीं करना है। तमाम हिदायतों और जुर्मानों के बावजूद लोग सार्वजनिक स्थानों पर भी मास्क का प्रयोग करने से कतरा रहे हैं। रही सही कसर बिना लक्षण वाले मरीज पूरी कर रहे हैं। जानकारी के अभाव में वे संक्रमण फैला रहे हैं। इसका सीधा असर चिकित्सा सेवाओं पर पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों का तांता लगा है। मरीजों की भर्ती के लिए बेड कम पडऩे लगे हैं। दूसरी ओर कोरोना की दहशत का फायदा निजी अस्पताल जमकर उठा रहे हैं। वे इलाज के नाम पर मरीजों से लाखों रुपये वसूल रहे हैं। सबसे खराब स्थिति गरीबों की हो रही है। वे पैसे के अभाव में अपना इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट को सरकार और निजी अस्पतालों को सभी का इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश देने पड़े। सरकार को चाहिए कि वह एक ओर कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी गाइडलाइन का कड़ाई से पालन कराना सुनिश्चित करे तो दूसरी ओर निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के नाम पर मनमाना पैसा वसूलने पर नियंत्रण लगाए। इसके लिए सरकार महामारी एक्ट के तहत प्राइवेट अस्पतालों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर सकती है अन्यथा स्थितियां बेकाबू हो जाएंगी।