अब मियावाकी वन कम करेंगे वायु प्रदूषण, बोर्ड ने बनाया प्लान
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत राजधानी समेत प्रदेश के पांच शहरों में लगेंगे वन
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी की धनराशि, जल्द शुरू होगा अभियान
पारंपरिक जंगलों के मुकाबले दस गुना तेजी से बढ़ते हैं मियावाकी वन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। अब मियावाकी वन प्रदेश के शहरों के वायु प्रदूषण को कम करेंगे। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सर्वाधिक प्रदूषित पांच शहरों में वायु प्रदूषण कम करने के लिए इन वनों को लगाने का फैसला किया है। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी व आगरा में जापानी पद्धति से तेजी से उगने वाले मियावाकी वन लगाए जाएंगे। बोर्ड ने इन वनों को लगाने के लिए धनराशि भी जारी कर दी है।
शहरों में कम हो रही जगह को देखते हुए योगी सरकार ने जापानी तकनीक आधारित मियावाकी वन लगाने का निर्णय लिया है। यह वन 160 वर्ग मीटर या इससे भी छोटे प्लाट में उगाए जा सकते हैं। यह पारंपरिक वन क्षेत्रों के मुकाबले अधिक घने व 30 फीसद अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं। इस तकनीक द्वारा उगाए गए फटाफट वन पारंपरिक जंगलों के मुकाबले 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं। इसी खूबी को देखते हुए सर्वाधिक प्रदूषित पांच शहरों में यह वन लगाने का निर्णय लिया गया है।
लखनऊ में फिलहाल दो स्थानों का चयन इसके लिए हुआ है। इनमें लोहिया पथ व कुकरैल का चांदन क्षेत्र शामिल है। इसके अलावा वन विभाग के मुख्यालय में भी मियावाकी वन लगाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। आगरा में भी मियावाकी वन लगाने के लिए ताजमहल परिसर के समीप दो स्थानों का चयन किया गया है। कानपुर में नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट में यह वन लगाया जाएगा। यहां एक हेक्टेयर में करीब 35 हजार पौधों का रोपण किया जाएगा। इसे मियावाकी वन की मॉडल साइट के रूप में विकसित किया जाएगा। वाराणसी में स्कूल-कॉलेज परिसर में मियावाकी वन लगाए जाएंगे। इसके लिए फिलहाल छह स्थानों का चयन किया गया है। इसमें से एक स्थान की स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है। इसी तरह प्रयागराज में तीन स्थानों का चयन किया गया है। यह स्थान कैंट-सीडीए पेंशन क्षेत्र, बीपीसीएल परिसर नैनी व कसारी मसारी छावनी क्षेत्र रेंज हैं।
क्या है मियावाकी वन
इस वन का अविष्कार जापान के वनस्पति शास्त्री अकीरा मियावाकी ने किया था। इसमें छोटे-छोटे स्थानों पर ऐसे पौधे रोपे जाते हैं जो साधारण पौधों की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं। इस पद्धति ने शहरों में जंगलों की परिकल्पना को साकार किया। इसके जरिए बहुत कम जगह व बंजर जमीन पर भी जंगल उगा सकते हैैं।