अवैध सब्जी मंडी से परेशान हैं लोग
गोमती नगर के विराजखंड में पांच साल से चल रहा बाजार
नगर निगम, एलडीए व पुलिस से कई बार की गई शिकायत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। गोमती नगर विराज खंड में 5 साल से अवैध सब्जी मंडी चल रही है। इस दौरान करीब 50 से ज्यादा शिकायत नगर निगम, एलडीए और स्थानीय थाने को कई लेकिन अभी तक मंडी नहीं हटी। स्थानीय लोग इसकी वजह से परेशान भी रहते है। पुल के नीचे करीब 500 मीटर की लंबाई में यह मंडी लग रही है। नगर निगम इसके बाद भी आंख बंद किए हुए है।
बड़ी बात यह है कि धीरे-धीरे यहां चबुतरे भी बनाने की पहल शुरू हो गई है। जानकारों का कहना है कि इसकी वजह से करीब 100 करोड़ रुपए की जमीन पर कब्जा है। अगर यह मंडी यहां काम करने वाले कारोबारियों के लिए ऑफिशियल भी कर दिया जाए तो हर महीने नगर निगम को यहां से लाखों रुपए का टैक्स आएगा। लेकिन यह पैसा नगर निगम के खाते नहीं आता है।
600 से 1000 रुपए तक चुकाते हैं दुकानदार
यहां एक दुकानदार से महीने से 600 से 1000 रुपए तक की अवैध वसूली है। ऐसे में 2 से 3 लाख रुपए महीने का पूरा खेल है। मंडी में मौजूदा समय करीब छोटे – बड़े 200 से ज्यादा दुकानदार है। साल के हिसाब से यहां से करीब 20 लाख रुपए से ज्यादा की अवैध वसूली का खेल चल रहा है। नगर निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि यह यह पैसा आला अधिकारियों तक जाता है। ऐसे में यहां कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
वसूली का खेल जारी
सूत्रों का कहना है कि मंडी के संचालन में वसूली का पूरा खेल चल रहा है। इसमें नगर निगम से लेकर स्थानीय पुलिस के लोग शामिल है। यही वजह है कि शहर का सबसे वीआईपी इलाका होने के बाद भी इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यहां रहने वाले मुकेश बताते हैं कि पहले महज कुछ दुकानदार यहां सब्जियां बेचते थे लेकिन अग यह संख्या काफी ज्यादा में पहुंच गई है। यहां की सफाई हालांकि नियमित नगर निगम कराता है। जबकि यह मंडी पूरी तरह से अवैध है।
15 अगस्त पर झंडा फहराने को लेकर दिल्ली में संग्राम
केजरीवाल को भाजपा ने घेरा, बीजेपी बोली- स्वाधीनता दिवस की गरिमा को किया तार-तार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की 15 अगस्त पर स्वाधीनता दिवस के उपलक्ष्य में ध्वजारोहण को लेकर जेलवासी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को लिखा पत्र प्रमाणित करता है की आम आदमी पार्टी और उसके नेता कल भी आराजक थे आज भी आराजक हैं। राष्ट्र ध्वज प्रोटोकोल अनुसार राज्यों में केवल मुख्य मंत्री के द्वारा ध्वजारोहण का प्रावधान है।
शायद संविधान एवं राष्ट्र ध्वज प्रोटोकोल निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नही की होगी की कभी देश में ऐसा हठधर्मी मुख्य मंत्री आयेगा जो जेल जा कर भी पद से इस्तीफा नही देगा। मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मंत्री आतिशी को ध्वजारोहण अधिकार देने को लेकर उपराज्यपाल को भेजे आराजकता पूर्ण पत्र ने उनके द्वारा 2014 में राजपथ पर धरना देकर गणतंत्र दिवस समारोह बाधित करने की घोषणा की भयावह याद ताज़ा कर दी है। सचदेवा ने कहा है की अरविंद केजरीवाल ने 2014 में गणतंत्र दिवस की गरिमा को ठेस पहुंचाई थी और आज 2024 में स्वाधीनता दिवस की गरिमा को भी तार तार किया है।
सीएम के न रहने पर एलजी करते हैं झंडारोहण : सचदेवा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की दिल्ली सरकार के स्वाधीनता दिवस समारोह में दिल्ली के मुख्य मंत्री ही ध्वजारोहण कर सकते हैं और यदि वह नही करने आ सकते तो फिर परम्परा अनुसार दिल्ली के उपराज्यपाल ध्वजारोहण करेंगे। 1991से 1993 एवं 2014 में जब दिल्ली में मुख्य मंत्री नही थे तब उपराज्यपाल ने ध्वजारोहण किया था। यदि अरविंद केजरीवाल अपनी मंत्री आतिशी से ध्वजारोहण करवाना चाहते हैं तो उन पर विश्वास करें और खुद इस्तीफा देकर उन्हे मुख्य मंत्री पद की शपथ दिलवायें।
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के 34 साल के वाम मोर्चा शासन के दूसरे और आखिरी मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। बुद्धदेव 2000 से 2011 तक लगातार 11 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
बुद्धदेव की निधन की खबर उनके बेटे सुचेतन भट्टाचार्य ने गुरुवार सुबह दी। उनके निधन से पूरे बंगाल में शोक का लहर है। बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया। जानकारी के मुताबिक, बुद्धदेव ने सुबह नाश्ता भी किया था। इसके बाद वे अस्वस्थ हुए। सुबह करीब 8.20 बजे पाम एवेन्यू स्थित घर पर ही उन्होंने देह त्याग दिया।
खबर मिलने के बाद उनके परिजन और राजनीतिक लोग एकत्रित होने शुरू हो गए। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि बुधवार शाम से ही उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। बुद्धदेव को सांस लेने में तकलीफ चरम सीमा पर पहुंच गई। फिर थोड़ी देर में उनकी स्थिति थोड़ी ठीक हुई। फिर तय हुआ कि गुरुवार सुबह 11 बजे डॉक्टर आकर उनकी जांच करेंगे। जरूरत पडऩे पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा, क्योंकि वह अस्पताल जाने में बहुत अनिच्छुक थे। इसलिए डॉक्टरों की सलाह पर विचार किया जाएगा, लेकिन गुरुवार की सुबह से बुद्धदेव फिर बीमार पड़ गए। सुबह उठकर नाश्ते के बाद चाय पी। इसके बाद वह दोबारा बीमार पड़ गए और उन्हें नेबुलाइजर देने की कोशिश की गई। सूत्रों के मुताबिक, इस वक्त वह दिल की बीमारी से पीड़ित थे। तुरंत डॉक्टरों को सूचित किया गया। उन्होंने आकर बुद्धदेव को मृत घोषित कर दिया।
रिजर्व बैंक ने आम आदमी को नहीं दी राहत
नहीं कम होगी आपकी ईएमआई, 9वीं बार स्थिर रखा रेपो रेट
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। कर्ज सस्ता होने और ईएमआई का बोझ कम होने का इंतजार कर रहे लोगों को एक बार फिर से निराशा हाथ लगी है। रिजर्व बैंक ने रिकॉर्ड 9 वीं बैठक में भी रेपो रेट को कम नहीं किया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज गुरुवार को बताया कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि एमपीसी के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने का पक्ष लिया. एमपीसी की अगली बैठक अक्टूबर महीने में होगी।
अभी और सताएगी महंगाई
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के लिए महंगाई अभी भी सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। यही कारण है कि मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला लिया. ब्याज दरों को कम करने के लिए रिजर्व बैंक अभी और इंतजार करने के पक्ष में है। आरबीआई की अगस्त एमपीसी बैठक 6 अगस्त को शुरू हुई थी और आज संपन्न हुई। उसके बाद आरबीआई गवर्नर ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी।
आखिरी बार 18 महीने पहले हुआ था बदलाव
आरबीआई के इस फैसले से उन लोगों को निराशा हाथ लगने वाली है, जो लंबे समय से कर्ज सस्ता होने और ईएमआई के बोझ में नरमी आने की उम्मीद कर रहे हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में आखिरी बार पिछले साल फरवरी में बदलाव किया था। यानी डेढ़ साल से नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. फरवरी 2023 में हुई एमपीसी की बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था।
रेपो रेट से ऐसे जुड़ी है ईएमआई
रेपो रेट उस ब्याज दर को कहते हैं, जिसके आधार पर आरबीआई से बैंकों को पैसे मिलते क्तहैं. मतलब रेपो रेट सीधे तौर पर बैंकों के लिए फंड कॉस्ट से जुड़ा हुआ है. जब रेपो रेट कम होता है तो बैंकों के लिए लागत में कमी आती है और रेपो रेट बढऩे पर उनके लिए फंड महंगा हो जाता है. बैंकों के द्वारा आम लोगों को दिए जाने वाले कर्ज जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, व्हीकल लोन आदि की ब्याज दरें रेपो रेट के हिसाब से तय होती हैं. रेपो रेट कम होने से ये सारे लोन सस्ते हो जाते हैं. होम लोन के मामले में फ्लोटिंग इंटेरेस्ट रेट होने से रेपो रेट की कमी का असर पुराने लोन पर भी होता है और ईएमआई का बोझ कम हो जाता है। हालांकि अब लोगों को उसके लिए और इंतजार करना होगा।