भारत इंफ्रास्ट्रक्चर में बना रहा है दबदबा: अडानी

  • क्रिसिल ने आयोजित किया इंफ्रास्ट्रक्चर भारत के भविष्य के लिए उत्प्रेरक का कार्यक्रम
  • अडानी समूह के चेयरमैन ने लिया भाग

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा क्रिसिल के वार्षिक इंफ्रास्ट्रक्चर समिट में मुख्य वक्ता के रूप में आकर मुझे बहुत सम्मान का एहसास हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य है कि मुझे एक ऐसे संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलने का अवसर मिला है जिसने भारत में क्रेडिट रेटिंग और सलाहकार सेवाओं के विकास की नींव रखी है। उन्होंने कहा यह कहा जाता है कि कल की कहानियां आज की नींव पर लिखी जाती हैं। मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि हमें यह महसूस करने के लिए बस पीछे मुडक़र देखना है कि राष्ट्र के इतिहास में सबसे प्रभावशाली समय वे रहे हैं, जब उन्होंने इफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अपना दबदबा बनाया था।
प्राचीन दुनिया में भी रोमनों ने 4 लाख किलोमीटर से अधिक सडक़ों और पुलों का एक विशाल नेटवर्क बनाया था जो नदियों और घाटियों को पार कर जाता था, जिससे सामानों और सेना को आने-जाने में बनाया था जो नादया और घाटिया का पार कर जाता था, जिससे सामाना आर सेना का आन-जान म मदद मिलती थी। इसने उनके पूरे साम्राज्य को जोडऩे में मदद की जो कई देशों में फैला था। रोम की सडक़ों ने उन्हें अब तक की सबसे महान सभ्यताओं में से एक बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। उसी तरह, महान औद्योगिक क्रांति, जिसने सडक़ों, रेलमार्गों, पोर्ट्स, पुलों और टेलीग्राफ सिस्टम में भारी निवेश देखा और इसके वजह से आर्थिक उछाल आया जिसने ग्रेट ब्रिटेन को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक बनने का मार्ग प्रशस्त किया। और हाल के दिनों में, 1970 के दशक के अंत में शुरू हुए चाइनीज इंफ्रास्ट्रक्चर के सुधारों ने इंफ्रास्ट्रक्चर के अब तक के सबसे तेज निर्माण को जन्म दिया।

पूर्व पीएम राव व मनमोहन ने दी दिशा

अब में आपको 1991 में वापस ले चलता हूं, जिस साल भारत के आर्थिक लिब्रलाइजेशन की शुरुआत हुई थी। उस समय के स्वर्गीय प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव और तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा घोषित सुधारों को सामूहिक रूप से एलपीजी सुधार के रूप में जाना जाने लगा। ये लिब्रलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन के लिए खड़े थे। इन सुधारों ने भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिन्हित किया और लाइसेंस राज को खत्म कर दिया, जिसने सरकार को लगभग हर उस एप्रूवल में शामिल देखा, जिसकी व्यवसायों को आवश्यकता थी। 1991 के मार्केट फ्रेंडली रिफॉर्म्स की शुरुआत करके, भारत ने अपने प्राइवेट सेक्टर की क्षमता को अनलॉक कर दिया और इसके बाद के विस्तार के लिए प्लेटफार्म तैयार किया।

भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री का आश्चर्यजनक बदलाव

मैं तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करूंगा पहला इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में सरकारी नीतियों और प्रशासन की भूमिका दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर का भविष्य और सस्टेनेबिलिटी के साथ इंटरकनेक्शन व तीसरा अडानी के फोकस एरिया और हम नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में जो भूमिका निभा रहे हैं। आज भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री एक आश्चर्यजनक बदलाव से गुजर रही है, जिसके प्रभाव को हम एक दशक बाद पीछे मुडक़र देखेंगे तो पूरी तरह से समझ पाएंगे। हमने पहले कभी नहीं देखे गए इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेक्स साइकल की शुरुआत कर दी है और यह आने वाले कई दशकों के लिए भारत के विकास की नींव रखता है। और यह सब सुशासन की गुणवत्ता से शुरू होता है। विश्व स्तर पर बहुत कम क्षेत्र, सरकार की नीतियों से जुड़े हुए हैं जितना इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर जुड़ा है। इसलिए पहले में भारत और इंफ्रास्ट्रक्चर के भविष्य के बारे में बात करूं, यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि हमें यहां लाने के लिए नीतिगत बदलाव कैसे आवश्यक थे।

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