सिब्बल के बाद जयंत चौधरी को मिला राज्यसभा का टिकट
- सपा-आरएलडी के होंगे संयुक्त प्रत्याशी
- सिब्बल और जावेद अली भर चुके हैं पर्चा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 11 राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने एक और प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। शुरुआत में खबरें थी कि सपा की ओर से डिंपल यादव राज्य सभा जा सकती हैं, लेकिन अब राष्टï्रीय लोकदल (आरएलडी) के राष्टï्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी को सपा ने राज्यसभा का टिकट दिया है। जयंत चौधरी सपा-आरएलडी के संयुक्त प्रत्याशी होंगे। आरएलडी के राष्टï्रीय प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने जयंत चौधरी को राज्य सभा के लिए अग्रिम शुभकामनाएं दी है।
समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके बताया कि जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी और राष्टï्रीय लोकदल से राज्य सभा के संयुक्त प्रत्याशी होंगे। इससे पहले सपा ने सपा के मुस्लिम चेहरा जावेद अली और देश के जाने-माने वकील कपिल सिब्बल को अपना प्रत्याशी बनाया है। सिब्बल ने निर्दलीय पर्चा भरा है, उन्हें सपा समर्थन कर रही है। इससे पहले बुधवार को सपा की ओर से कपिल सिब्बल और जावेद अली ने अपना नामांकन भरा। इस दौरान कपिल सिब्बल ने बताया कि वो 16 मई को ही कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं। सिब्बल के नामांकन के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव भी मौजूद रहे। 2016 में सिब्बल को तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में यूपी से राज्यसभा के लिए चुना गया था। कपिल सिब्बल को लेकर ये भी माना जा रहा है कि अखिलेश इस मौके को आजम खान की उपेक्षा और रिहा होने के बाद के हावभाव के बीच भुनाना चाहते हैं। आजम खान ने जेल से बाहर आने के बाद कहा था कि मेरे विनाश में मेरे चाहने वालों का हाथ है। राज्यसभा की 11 सीट के लिए 24 मई से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है।
अब क्या आजमगढ़ से उपचुनाव लड़ेंगी डिंपल?
कल तक यह लगभग तय था कि डिंपल यादव का राज्यसभा जाना तय है और वह गुरुवार को अपना नामांकन करेंगी, लेकिन कपिल सिब्बल के निर्दलीय प्रत्याशी बनने के बाद हालात बदलने लगे और चर्चा आरएलडी के खेमे में शुरू हो गई कि जयंत चौधरी को एक बार फिर धोखा मिला है। यूपी के सियासी गलियारे में कई अटकलबाजी भी शुरू हो गई। इन सबके बीच समाजवादी पार्टी ने तमाम अटकलों को विराम लगाते हुए एक बड़ा फैसला लिया और जयंत चौधरी को आरएलडी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन का संयुक्त उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया। इससे साफ हो गया कि अब डिंपल यादव राज्यसभा नहीं जा रही। अब चर्चा है कि डिंपल यादव, आजमगढ़ लोकसभा सीट उपचुनाव लड़ेंगी।
सपा के खाते में तीन सीटें पक्की, चौथी के लिए टक्कर
उत्तर प्रदेश के विधानसभा में कुल 403 विधायक हैं, जिनमें से 2 सीटें रिक्त हैं। इस तरह से 401 विधायक फिलहाल हैं। ऐसे में एक सीट के लिए 36 विधायकों का वोट चाहिए। बीजेपी गठबंधन के पास 273 विधायक है, जिसके लिहाज से 7 सीट जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी। सपा के पास 125 विधायक हैं। उसे 3 सीट जीतने में कोई दिक्कत नहीं है। एक सीट के लिए बीजेपी और सपा सियासी घमासान मचेगा और एक दूसरे के खेमे में सेंधमारी की कवायद होगी।
मायावती के खास रहे नकुल दुबे कांग्रेस में शामिल
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी के पूर्व मंत्री नकुल दुबे बहुत जल्द कांग्रेस में शामिल हो गए। नकुल दुबे यूपी की सियासत में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं, जिसके सहारे बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2007 में ब्राह्मïण-दलित गठजोड़ के चलते सत्ता में काबिज हुई थीं। पेशे से अधिवक्ता नकुल दुबे की उत्तरप्रदेश के प्रबुद्ध जनों के बीच गहरी पैठ है। इससे पहले बसपा की राष्टï्रीय अध्यक्ष मायावती ने बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी का ब्राह्मïण चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री नकुल दुबे को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उन पर पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण ये कदम उठाया गया था। इस की जानकारी मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी थी। इसी साल यूपी विधानसभा चुनावों में नकुल दुबे को पार्टी का प्रमुख ब्राह्मïण चेहरे के तौर पर पेश किया गया था।
बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के बाद नकुल दुबे पार्टी का बड़ा ब्राह्मïण चेहरा माने जाते थे। पहली बार 2007 में बसपा ने उत्तर प्रदेश में बहुमत हासिल किया तो लखनऊ की महोना सीट से नकुल दुबे भी विधायक निर्वाचित हुए। इस जीत का सेहरा उनके सिर भी गया और मायावती ने उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा। नकुल दुबे की पढ़ाई लखनऊ से हुई है। उन्होंने 1984 में लखनऊ के विद्यांत हिंदू डिग्री कॉलेज से बीए किया, इसके बाद 1987 में उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी पास किया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। वह सतीश मिश्रा के काफी करीबी माने जाते हैं। बसपा से पहली बार टिकट मिलने पर उन्हें जीत हासिल हुई थी।