राजस्थान में बीजेपी का बुरा हाल, राजपूतों ने डुबो दी लुटिया

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के सभी समीकरण को मोदी के ध्रुवीकरण की राजनीति ने बिगाड़ दिया... और बीजेपी लोकसभा चुनाव में महज दो सौ चालीस सीटों पर सिमट कर रह गई...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव दो हजार चौबीस के नतीजे बीजेपी के लिए बहुत चौंकाने वाले साबित हुए है… बीजेपी को लोकसभा चुनाव दो हजार चौबीस में बहुत अधिक सीटों की उम्मीद थी… लेकिन बीजेपी के सभी समीकरण को मोदी के ध्रुवीकरण की राजनीति ने बिगाड़ दिया… और बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में महज दो सौ चालीस सीटों पर सिमट कर रह गई… लगातार दो हजार चौदह से दो बार प्रधानमंत्री रहने के बाद मोदी की तानाशाही अपने चरम पर पहुंच गई थी… मोदी ने कभी भी जनता की बातों को नहीं सुना लगातार दो बार के कार्यकाल में मोदी ने सिर्फ मनमानी की… और जनता को महंगाई, बेरोजगारी की तरफ ढकेल दिया… जिससे देश की जनता में काफी असंतोष व्याप्त हो गया… जिसके चलते इस लोकसभा चुनाव में मोदी को बहुत बड़ा सबक सिखाते हुए जनता ने मुहतोड़ जवाब दिया… और बीजेपी को महज दो सौ चालीस सीटों पर समेट कर रख दिया… जिससे मोदी को बहुत बड़ा सबक मिला है… अब तीसरी बार शपथ लेने के बाद मोदी शायद जनता की बातों को सुनने का काम करें… और जनता के दुख दर्द को समझने का काम करें… वहीं बैसाखी के सहारे कितने दिनों तक सरकार चलती है… यह सबसे बड़ा सवाल है…

लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए चौंकाने वाले साबित हुए हैं…  दरअसल, भारतीय जनता पार्टी को दो सौ चालीस सीटों पर जीत हासिल हुई है… जबकि भगवा पार्टी ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही थी…. भाजपा को सबसे बड़ा झटका यूपी से लगा है…. यहां पार्टी को सिर्फ तैंतीस सीटें ही मिली हैं… इसका सीधा असर बहुमत के आंकड़े पर हुआ है… बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी से बासठ सीटों पर जीत हासिल हुई थी…. लेकिन इस बार ये उनतीस सीटें बीजेपी के हाथ से फिसल गईं…. इसके साथ ही जिस राजस्थान में बीजेपी पिछले दो चुनावों में लगातार क्लीन स्वीप करती आ रही थी…. वहां भी भाजपा की सीटें घट गई हैं…. बीजेपी को इन राज्यों में हुए नुकसान को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं…. इसके साथ ही ये भी चर्चा चल रही है कि क्या क्षत्रियों के असंतोष के कारण भाजपा की सीटें घटी हैं…. या फिर राम मंदिर ट्रस्ट में समुदाय की अनदेखी का भी पार्टी के वोट शेयर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा….  दरअसल, अयोध्या के नतीजों से पता चलता है कि राजपूत समाज की असहमति हावी रही है… जिसको लेकर करणी सेना के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने कहा कि सरकार राम मंदिर आंदोलन का श्रेय अन्य समुदायों को कैसे दे सकती है…. मंदिर के लिए सबसे ज्यादा लड़ाई लड़ने वाले क्षत्रियों को पूरी तरह से कैसे नजरअंदाज कर सकती है…. राम मंदिर ट्रस्ट में समाज के नेता के लिए कोई जगह नहीं होने से समाज का पार्टी पर से भरोसा उठ गया है…

वहीं आगे रघुवंशी ने कहा कि महाराजा जयचंद्र गहरवार के लिए बिना किसी तथ्य के अपमानजनक टिप्पणी का इस्तेमाल करके समुदाय को गाली देना… राजा मान सिंह और अन्य राजपूत राजाओं पर अपमानजनक टिप्पणी करके पूरे समुदाय का मजाक उड़ाना…. देश को आकार देने और मंदिरों के निर्माण और बचाने में क्षत्रियों के योगदान को बदनाम करना… और कुछ राजाओं को राष्ट्रीय नायक के रूप में बढ़ावा देना भी समाज की असहमति का कारण बना….  दरअसल, क्षत्रिय समाज में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ असंतोष की वजह से इस लोकसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति खराब हो गई… असंतोष की आग लंबे समय से सुलग रही थी और पिछले दो-तीन सालों में कई विवादों के दौरान पार्टी के खिलाफ सोशल मीडिया ट्रेंड देखने को मिले… भाजपा के वरिष्ठ नेता पुरषोत्तम रूपाला के विवादित बयान… और क्षत्रिय इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के आरोपों, खास तौर पर मिहिर भोज विवाद, समुदाय के नेताओं को कम टिकट देना… और अग्निपथ योजना जैसे कई अहम मुद्दों के चलते समुदाय ने देशभर में कई महापंचायतें कीं… भले ही रूपाला ने राजकोट से अपनी सीट जीत ली हो… लेकिन पार्टी बनासकांठा सीट कांग्रेस के हाथों हार गई… जहां राजपूत उम्मीदवार गनीबेन ठाकोर ने जीत दर्ज की… वह राज्य में जीतने वाली पहली राजपूत उम्मीदवार हैं…

आपको बता दें कि बीजेपी ने राजस्थान में भी ग्यारह सीटें गंवाईं…. जहां इस तरह के आंदोलन हो रहे थे…. राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता लोकेंद्र सिंह किलानौत कहते हैं कि इतिहास विकृत करने के विरोध को गंभीरता से न लेना…. टिकट देने में पक्षपातपूर्ण रवैया, EWS छूट की अनदेखी करना… और शुभकरण चौधरी जैसे नेताओं को टिकट देना…. जो राजपूत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं…. जो समाज द्वारा भाजपा से खुद को दूर करने के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं…. बता दें कि बीजेपी ने उन ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया, जो पिछले चुनावों में हार गए थे… और राजपूत उम्मीदवारों की अनदेखी ने असंतोष को बढ़ावा दिया है…. राजस्थान में नई सरकार के गठन के बाद से एक विशेष समुदाय को प्रमुख पदों पर रखा जा रहा है…. जिसके कारण क्षत्रिय समाज भी भाजपा से दूर हो गया है….

बता दें कि बीजेपी को सबसे बड़ी हार का सामना उत्तर प्रदेश में करना पड़ा…. जहां एनडीए की सीटें इस चुनाव में बासठ सीटों से घटकर महज तैंतीस रह गईं… और समाजवादी पार्टी की सीटों में इजाफा हुआ…. उत्तर प्रदेश में परषोत्तम रूपाला के बयान, क्षत्रिय इतिहास विकृत करने के आरोप, अग्निवीर योजना, ईडब्ल्यूएस योजना में छूट से इनकार करना शामिल हैं… वहीं दो हजार चौदह में पार्टी ने क्षत्रिय उम्मीदवारों को इक्सीस टिकट दिए थे…. जिनमें से उन्नीस जीते थे, इस चुनाव में पार्टी ने क्षत्रिय समाज से केवल दस उम्मीदवारों को टिकट दिया था… जिसका भी बड़ा असर देखने को मिला…

वहीं बीजेपी के खिलाफ रैलियां करने वाले किसान मजदूर संगठन के ठाकुर पूरन सिंह ने कहा कि पार्टी सोच सकती है कि नोएडा से महेश शर्मा… और गाजियाबाद से अतुल गर्ग जैसे लोगों को टिकट देने से कोई असर नहीं पड़ेगा…. क्योंकि शहरी मतदाता उन्हें चुनाव जिता देंगे…. लेकिन ये दोनों क्षत्रिय बहुल सीटें हैं… और मिहिर भोज विवाद के दौरान महेश शर्मा के पक्षपातपूर्ण कार्यों का समाज पर प्रभाव पड़ा है…. और उन्होंने लगभग सभी सीटों पर बीजेपी के खिलाफ मतदान किया है… और उन्होंने कहा कि बीजेपी चुप रही या फिर सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर, सम्राट पृथ्वी राज चौहान को गुर्जर, सम्राट अनंगपाल तोमर को जाट या कभी गुर्जर, राजा पोरस (पुरु) को जाट तो कभी अहीर, राणा पुंजा सोलंकी को भील, सुहेलदेव बैस को राजभर, आल्हा और उदल, बनाफर राजपूत सेनापतियों को अहीर और कई अन्य को क्षत्रिय इतिहास में शामिल करके इतिहास को विकृत करने में मदद की…. वे समाज से क्या उम्मीद करते हैं… और उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के बावजूद समाज ने दूसरा रास्ता चुना है…. मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान की हार समाज को शांत करने के असफल प्रयासों में से एक परिणाम की तरह दिखती है….

आपको बता दें कि उत्तर भारत की सेना की फैक्ट्री कहे जाने वाले साठा चौरासी क्षेत्र के आदित्य राणा ने बीजेपी पर बड़ा बयान देते हुए… बालियान पर जातिवादी होने का आरोप लगाया गया था… और उन्हें ठाकुर चौबीसी (क्षत्रिय समाज के 24 गांव) से भगा दिया गया था… और उनके काफिले पर हमला भी किया गया था…. उनकी हार तय थी…. क्योंकि बार-बार शिकायत करने के बावजूद पार्टी ने उन्हें टिकट दिया…. वहीं मेजर (सेवानिवृत्त) हिमांशु सोम ने कहा कि मुजफ्फरनगर नोएडा नहीं है…. जहां शहरी मतदाता समीकरण बदल सकते हैं, पार्टी को समाज की बात सुननी चाहिए थी… और उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना और EWS छूट पर चुप्पी ने भी समाज के बीच असंतोष को बढ़ावा दिया…. मुख्य रूप से गांवों में क्षत्रिय युवा सेना के लिए तैयारी करते थे…. लेकिन अग्निवीर योजना ने उनके सपने और सबसे पसंदीदा आजीविका विकल्प को छीन लिया है… जो लोग चुने जा रहे हैं…. उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है… इसलिए उम्मीदवारों की संख्या भी कम हो गई है…. इसके अलावा, ईडब्ल्यूएस छूट में अनावश्यक रूप से जमीन को जोड़ दिए जाने से हाशिए पर पड़े किसान परिवारों के राजपूत युवाओं को केंद्र सरकार की नौकरियों में उचित अवसर नहीं मिल रहे हैं…. बार-बार अनुरोध के बावजूद सरकार दोनों मुद्दों पर चुप रही….

वहीं लोकसभा चुनाव के परिणामों ने राजस्थान में बीजेपी को चौदह सीटें ही मिल पाई… परिणाम के बाद चर्चाओं में कई कारण सामने आए… इसमें एक प्रमुख कारण राजस्थान में राजपूतों की नाराजगी पर भी सामने आया… इसी को लेकर श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के दिवंगत राष्ट्रीय अध्यक्ष दिवंगत सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की पत्नी संगठन की कार्यकारी अध्यक्ष शिला गोगामेड़ी उदयपुर पहुंचीं… और उन्होंने मीडिया से बात करते हुए… सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या के मामले में उनकी की पत्नी शिला गोगामेड़ी ने बताया कि एनआईए की जांच चल रही है… और तीन चार दिन पहले की चार्जशीट पेश की गई है…. हालांकि हमें पता चला है कि देश के बाहर बैठे अपराधी गोल्डी बराड और रोहित गोदारा इस मामले से जुड़े हैं…. मांग है कि सरकार उन्हें लाए और फांसी चढ़ाएं या रास्ते में ही एनकाउंटर कर दे… भारतीय जनता पार्टी बनाने वाले राजपूत है… शुरू से राजपूतों ने बीज बोया था.. जो अब पेड़ बन चुका है, जिसका अब अन्य लोग फल खा रहे हैं… इसी से राजपूतों को अलग कर दिया गया था क्या राजपूत नाराज नहीं होंगे…. जब टिकट वितरण का समय आया तो पच्चीस में से सिर्फ तीन टिकट राजपूतों को मिली….

आपको बता दें कि उन्होंने कहा कि गुजरात में रूपाला ने क्षत्राणियों को लेकर बयान दिया था… उस समय पूरा राजपूत समाज एक था… लेकिन राजपूतों की ना सुनकर बीजेपी ने एक व्यक्ति की सुनी… जाहिर सी बात है राजपूत समाज नाराज तो था… वहीं नाराजगी राजस्थान में देख ली. घमंड तोड़ दिया… वैसे पार्टियों से संगठन का कोई लेना देना नहीं है… जो हमारी सुनेगा हम उनके साथ होंगे… और उन्होंने कहा कि केंद्र ने सरकार बनने को लेकर उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी अच्छा काम कर रहे हैं… हम उनके सपोर्ट में हैं, लेकिन हमारी ही गर्दन काटी जाएगी तो हम खिलाफ हैं… अगर वो सपोर्ट करेंगे तो राजपूत खुले दिल से पहले उनके साथ थे और आगे भी रहेंगे… वहीं इस सरकार में बीजेपी इन कमियों को भरने के लिए क्या कदम उठाती है… यह तो आने वाला वक्त तय करेगा…

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