अफसरों के निलंबन से नहीं सुधरेगी नौकरशाही!

4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्घजनों ने किया मंथन

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल के शुरू होते ही पूरे एक्शन में हैं। अपने पूरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र के डीएम टीके शिबू और गाजियाबाद के एसएसपी पवन कुमार को निलंबित कर दिया। सवाल यह है कि क्या सीएम योगी यूपी की बेलगाम नौकरशाही को एक आईएएस और एक आईपीएस को निलंबित कर सुधार देंगे? इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार उमाकांत लखेड़ा, सुशील दुबे, प्रो. रविकांत, उमाशंकर दुबे, राजेंद्र द्विवेदी और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्चा की।
सुशील दुबे ने कहा, आईएएस-आईपीएस का मतलब है कि मुझसे बड़ा भौकाली कोई नहीं है। नेता के पास पांच हजार आदमी आते हैं मगर अफसर खुद को भौकाली मानते हैं। सीएम योगी ने एक तरीके से कार्रवाई कर मैसेज दे दिया है कि गलती की तो कार्रवाई तय है। उमाशंकर दुबे ने कहा, ये जो कार्रवाई हुई है, उसके लिए सरकार को बधाई। दो अफसरों पर कार्रवाई हुई। मैं दो विभाग की बात करूंगा एलडीए और नगर निगम की। इन विभागों में उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती जो भ्रष्टïचार में लिप्त है।
राजेंद्र द्विवेदी ने कहा, सोनभद्र में जो कार्रवाई हुई है, इसकी मॉनिटरिंग पीएमओ खुद करता है। यह कार्रवाई का बड़ा कारण है। नेताओं को पता नहीं होता और नौकरशाही हावी हो जाती है, ये बीते 30 सालों से चल रहा है। सस्पेंशन कोई इलाज नहीं, पारदर्शिता लाना पहले जरूरी है।
प्रो. रविकांत ने कहा इन दो कार्रवाईयों से सरकार ने संदेश दिया कि ये करप्ट हैं और कार्रवाई किसी पर भी हो सकती है। बलिया के पत्रकार मामले में कहा, उसकी क्या गलती थी, पत्रकार का सोर्स सूत्र होता है और इस पर उल्टा कार्रवाई कर दी। नकल माफियाओं के बजाय पत्रकारों को जेल में डाल दो, ये तो गलत है।
उमाकांत लखेड़ा ने कहा, नौकरशाही अपने आप कुछ नहीं करती, उसकी हालत वहीं है जो चंद्रमा की है। चंद्रमा रोशनी प्राप्त करता है, तब वह चमकता है। इसी तरह ब्यूरोक्रेटस सत्ता से शक्ति प्राप्त करता है। सत्ता अधिकार देती है जनसेवा का। वे पब्लिक के नौकर है। जनता के टैक्स से उनको वेतन मिलता है। मगर उत्तर प्रदेश में नौकरशाही मालिक है।

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