प्रत्याशी फिक्स रेट पर ही समर्थकों को पिला सकेंगे चाय

चुनाव आयोग ने लंच-डिनर का भी तय किया रेट

लखनऊ। विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर प्रशासन सभी तैयारी पूरी करने में जुटा है। मुरादाबाद के जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों द्वारा प्रतिदिन व्यय की जाने वाली धनराशि का लेखा-जोखा निर्वाचन व्यय लेखा रजिस्टर में अंकित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश ने चुनाव घोषणा से पूर्व वस्तुओं के रेट चार्ट का निर्धारण जिले में प्रचलित दरों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा।

उम्मीदवारों द्वारा विधान सभा निर्वाचन के व्यय करने की सीमा 30 लाख 80 हजार निर्धारित की गयी है। साथ ही उनके द्वारा जो भी सामान खरीदा जाएगा, उसके लिए रेट लिस्ट भी दे दी गई। इसमें खान पान के साथ ही प्रचार सामग्री, सभा के लिए तैयार किए जाने वाले मंच आदि में प्रयोग किए जाने वाले सामान शामिल हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन पांच जनवरी को होगा। इसकी प्रतियां भी सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को निशुल्क उपलब्ध करायी जाएंगी।

इत्र कारोबारी प्रकरण : 50 देशों से पीयूष जैन का कंपाउंड कनेक्शन

  •  घर में बना रखी है लैब, पीयूष करता शोध

लखनऊ। सुर्खियों में आए कन्नौज के इत्र एवं कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन का कारोबार दुनिया के करीब 50 देशों में फैला है। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) की टीम की छापामारी में इसका खुलासा हुआ। घर, गोदाम और कारखाने से करीब दस देशों का केमिकल मिला है। साथ ही देश और विदेशों में भेजे जाना वाला करीब 100 तरह का कंपाउंड बरामद हुआ है। टीम ने सभी के सैंपल ले लिए हैं। डीजीजीआई की टीम को शहर के छिपट्टी मोहल्ले में कारोबारी पीयूष जैन के घर, गोदाम और कारखाने से करोड़ों रुपये की कीमत के केमिकल मिले हैं। ये केमिकल फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, जापान, चीन, कुवैत, इंडोनेशिया, नेपाल, सऊदी अरब और तेरान से मंगाए गए बताए जा रहे हैं। करीब 100 तरह के केमिकल और कंपाउंड तैयार मिले हैं।

दुनिया की किन-किन देशों और देश के राज्यों में इन्हें भेजा जाना था इसके दस्तावेज भी टीम के हाथ लगे। टीम ने शीशियों में इनका सैंपल भरकर सुरक्षित कर लिया है। कारोबारी पीयूष जैन ने घर में लैब बना रखी थी। केमिकलों का मिश्रण कर शोध से वह कई तरह के कंपाउंड और सिंथेटिक वेस्ट तैयार करता था। फार्मूला सफल होने के बाद वह इसे महंगे दामों में साबुन, सौंदर्य उत्पाद, पान-मसाला, गुटखा जैसी कंपनियों को निर्यात करता था।

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