महिलाओं में पीरिय़ड्स के दौरान क्रैम्प्स का दर्द, जानिए इसके कारण

पीरिय़ड्स के दौरान महिलाओं को होने वाला दर्द कई बार अत्यधिक पीड़ादायक हो सकता है। मासिक धर्म के दौरान, गर्भाशय की अंदरूनी परत,जैसे एंड्रोमेट्रियम कहते है, झड़ने लगती है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: पीरिय़ड्स के दौरान महिलाओं को होने वाला दर्द कई बार अत्यधिक पीड़ादायक हो सकता है। मासिक धर्म के दौरान, गर्भाशय की अंदरूनी परत,जैसे एंड्रोमेट्रियम कहते है, झड़ने लगती है। इस प्रक्रिया को शरीर से बाहर निकालने के लिए गर्भाशय सिकुड़ता और ढीला होता है। इस सिकुड़न को uterine contractions कहा जाता है, और यही क्रैम्प्स के दर्द का मुख्य कारण है।

इन सिकुड़नों को नियंत्रित करने में प्रोस्टाग्लैंडिन (Prostaglandins) नाम का एक केमिकल अहम भूमिका निभाता है. अगर शरीर में इसकी मात्रा ज्यादा हो जाए, तो गर्भाशय की मांसपेशियां ज्यादा ज़ोर से सिकुड़ती हैं, जिससे दर्द और तेज़ हो जाता है. यही वजह है कि कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान हल्का दर्द होता है और  कुछ को बहुत ज्यादा.

पीरियड्स में हल्का-फुल्का दर्द (क्रैम्प्स) आम बात है, लेकिन कभी-कभी ये दर्द असहनीय हो जाता है और हमारे रोज़मर्रा के कामों में बाधा डालता है. ऐसे में यह समझना ज़रूरी है कि कभी दर्द सिर्फ मामूली समस्या है और कभी यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है. एक्सपर्ट्स ने कुछ संकेत बताए हैं जिन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए.

यदि पीरियड्स के साथ गंभीर मतली, उल्टी, दस्त, चक्कर आना या बुखार जैसा महसूस हो रहा है, तो यह अधिक ध्यान देने की बात है. खासकर जब दर्द बहुत ज़्यादा हो और बेसहारा लगे. यानी स्केल पर unbearable pelvic pain जैसा हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए

बहुत अधिक फ्लो होना चिंताजनक

इसी तरह, अगर मासिक धर्म का बहाव अचानक बहुत ज़्यादा हो गया है. जैसे घंटे में दो से ज़्यादा पैड या टैम्पॉन गीला हो जाए. या बहुत बड़े खून के थक्के निकल रहे हों या पीरियडस एक हफ्ते से भी अधिक चल रहे हों. तो ये सभी संकेत हो सकते हैं किसी गंभीर स्थिति के- जैसे फ़िब्रॉइड्स या अन्य. इन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए

पीरियड्स में दर्द का बढ़ जाना

यदि पीरियड क्रैम्प सामान्य से अलग महसूस हो, लेकिन अब दर्द बहुत तेज़ या लंबा हो गया है या दर्द हमेशा की तरह दर्द न होकर असहनीय हो गया हो. तब यह भी डॉक्टर को दिखाने की ज़रूरत है. हो सकता है यह इंडोमेट्रिओसिस, एडेनोमायोसिस या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ जैसी समस्या का संकेत हो.

सामान्य दर्द समझकर इग्नोर न करें.

आपको बता दें,कि अक्सर देखा गया है कि कई महिलाएं ये सोचकर चला जाती हैं कि दर्द सामान्य है या सहन कर ली जाती है. लेकिन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि दर्द आपकी दिनचर्या बाधित कर दे, यानी काम, स्कूल या सोशल लाइफ में दिक्कत होने लगे, तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए. दर्द इतना अधिक हो कि दर्द निवारक भी कारगर ना हों तो और ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है.

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