एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आई मोदी सरकार

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन और अमेरिका में पीएम के साक्षात्कार पर उठे सवाल, राहुल गांधी बोले- भाजपा ने माना कि वह शासन में अक्षम है

भाजपा ने राष्ट्रपति शासन के फैसले का बचाव किया

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने के एनडीए सरकार के फैसले के बाद पीएम मोदी व बीजेपी पर विपक्ष हमलावर हो गया है। वहीं कांगे्रस ने अमेरिका में पीएम मोदी के साक्षात्कार में कुद सवालों पर चुप्पी साधने को लेकर भी उनको घेरा है। वहीं भाजपा ने राष्ट्रपति शासन के फैसले का बचाव किया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से शासन करने में उसकी अक्षमता की देर से की गई स्वीकारोक्ति है।
उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर के प्रति अपनी जिम्मेदारी से इनकार नहीं कर सकते। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करना भाजपा द्वारा मणिपुर में शासन करने में उसकी पूर्ण अक्षमता की देर से स्वीकारोक्ति है। अब प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर के लिए अपनी सीधी जिम्मेदारी से इनकार नहीं कर सकते। बता दें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक में कारोबारी गौतम अडानी के खिलाफ मामले पर चर्चा हुई के सवाल पूछे जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की है, हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं, हर भारतीय को मैं अपना मानता हूं ऐसे व्यक्तिगत मामलों के लिए दो देशों के मुखिया न मिलते है न बैठते हैं न बात करते हैं।

विस का कार्यकाल खत्म होने वाला है तो राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया : जॉय प्रकाश

टीएमसी प्रवक्ता जॉय प्रकाश मजूमदार ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष और अस्थिरता के लिए जिम्मेदार हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने लंबे समय तक मणिपुर की स्थिति को नजरअंदाज किया और अब जब विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है तो राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। उन्होंने कहा राज्य ने भाजपा को सुशासन की उम्मीद में चुना था, लेकिन पार्टी ने अलग-अलग जातीय समुदायों के साथ विश्वासघात किया है।

जब राज्य में हिंसा हो रही थी तब क्यों नहीं उठाए कड़े कदम : अधीर रंजन

कांग्रेस के सीनियर नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी केंद्र सरकार पर मणिपुर की स्थिति को बिगाडऩे का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब राज्य में हिंसा हो रही थी महिलाओं के साथ अपराध हो रहे थे और घर जलाए जा रहे थे तब केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब जब स्थिति पूरी तरह बेकाबू हो गई और सत्ता संभालने के लिए कोई ऑप्शन नहीं बचा तब भाजपा ने राष्टï्रपति शासन लागू किया है।

केंद्र सरकार ने सही समय पर सही कदम उठाया : समिक भट्टाचार्य

भाजपा की ओर से इस फैसले का बचाव किया गया है। पार्टी प्रवक्ता और सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र्र सरकार ने सही समय पर सही कदम उठाया है। उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रपति शासन से मणिपुर में स्थिरता आएगी और बाकी भाजपा शासित राज्यों की तरह यहां भी विकास को गति मिलेगी।

देश में पूछो तो चुप्पी, विदेश में पूछो तो निजी मामला : राहुल गांधी

मोदी ने अमेरिका दौरे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान एक पत्रकार ने गौतम अडानी के मामले को लेकर सवाल पूछा था। सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि दो देशों के नेता निजी मामलों पर कोई बात नहीं करते हैं। उनके इस बयान पर अब कांग्रेस नेता ने राहुल गांधी ने निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी मोदी जी ने अडानी जी के भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल दिया।जब मित्र का जेब भरना मोदी जी के लिए राष्ट्र निर्माण है, तब रिश्वतखोरी और देश की संपत्ति को लूटना व्यक्तिगत मामला बन जाता है।

हाथ लगा सबूत, अब मुंह की खानी होगी नीतीश सरकार को

रद होगी बीपीएससी परीक्षा खान सर का दावा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार में राजनीति हवा बदलने लगी है। नीतिश सरकार को एक के बाद एक बडें डेंट लग रहे हैं। ऐसे में यदि बीपीएससी परीक्षा रद्द होने का आदेश कोर्ट की तरफ से आ गया तो समझो सरकार की उल्टी गिनती शुरू। कोचिंग संचालक खान सर के एक बयान से एक बार फिर बीपीएससी आंदोलन को आक्सीजन मिलती दिखाई दे रही है। खान सर ने बयान दिया है कि अब ऐसे सबूत हाथ लग चुके हैं जिनके आधार पर हाईकोर्ट को बीपीएससी परीक्षा को रद्द कराने के आदेश देने ही पड़ेंगे।
बिहार की पूरी राजनीति में इस समय बीपीएसस परीक्षा एक अहम मुददा बन चुका है। पीके हो या फिर बिहार के दूसरे अन्य राजनीतिक दल सभी लोग इस मुददे के पक्ष और विपक्ष में रहकर अपनी—अपनी राजनीति कर रहे हैं। लाखों छात्र इस परीक्षा की जद में है और इसे रदद कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। राजद ने इसे कैंसिल कराने के लिए हर तरह से छात्रों का साथ दिया है। खान सर ने कहा है कि बीपीएससी परीक्षा में धांधली का आरोप हम शुरू से लगा रहे थे। फिर से परीक्षा कराने को लेकर हम हाईकोर्ट भी गये हैं। लेकिन हमसे सबूत खोजा जा रहा था। एक महीने की कोशिश के बाद हमने सबूत ढ़ूंढ़ लिया है।

खान सर ने लगाये सनसनीखेज आरोप

खान सर ने कहा कि 13 दिसंबर को बीपीएससी की परीक्षा हुई थी। उस परीक्षा के लिए बीपीएससी ने तीन सेट में प्रश्न पत्र तैयार किय गया था। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर कोई सेट का पेपर लीक हो जाये तो दूसरे सेट के प्रश्न से परीक्षा ली जाये। 13 दिसंबर को जो परीक्षा हुई उसमें इन तीन में से एक सेट के प्रश्न पत्र का उपयोग किया गया था। तीन सेट में जिन दो सेट के प्रश्न पत्र को यूज नहीं किया जाता है, उन्हें हर जिले के ट्रेजरी में जमा करा दिया जाता है। खान सर ने बताया कि पता चला है कि नवादा और गया जिले के ट्रेजरी में बीपीएससी ने प्रश्न पत्र जमा ही नहीं कराया। वहां से प्रश्न पत्र गायब थे। उन्होंने ट्रेजरी से गायब प्रश्न पत्र की जानकारी ली तो बीपीएससी की कलई खुल गयी। दरअसल बीपीएससी ने 13 दिसंबर को हुई परीक्षा में बापू परीक्षा केंद्र की परीक्षा को रद्द कर दी थी। 4 जनवरी को उस सेंटर के परीक्षार्थियों की फिर से परीक्षा ली गयी। इसी परीक्षा में खेला कर दिया गया।

बीपीएससी की बड़ी हेराफेरी

खान सर ने दावा किया कि नवादा और गया ट्रेजरी में जो प्रश्न पत्र जमा नहीं कराया गया था, उसी प्रश्न पत्र का उपयोग 4 जनवरी की परीक्षा में कर लिया गया। जिस पेपर को कबाड़ में बेचना था, उसी पेपर को 4 जनवरी को परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को दे दिया गया। बीपीएससी ने बड़ी हेराफेरी कर दी।

लाखों का भविष्य होगा बर्बाद

इससे साफ है कि गड़बड़ी कैसे हुई। 4 जनवरी की परीक्षा में किसी सुरक्षा मानक का पालन नहीं किया गया।कबाड़ में फेंकने वाले प्रश्न पत्र से परीक्षा ली गयी। तभी सक्सेस रेट में इतना अंतर आया। बीपीएससी ने लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य बर्बाद कर दिया। खान सर ने कहा कि उन्होंने इस सबूत को लेकर अपने वकीलों औऱ कानूनी जानकारों से बात की है। पहले सब कह रहे थे कि सबूत नहीं है इसलिए परीक्षा रद्द करा पाना मुश्किल है। लेकिन अब सबूत हाथ लग गये हैं। अब सारे कानूनी जानकार कह रहे हैं कि हाईकोर्ट से परीक्षा रद्द होना तय है। खान सर इस सबूत को हाईकोर्ट को सौंपने जा रहे हैं।

किसान नेता डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
खनौरी बॉर्डर। किसान आंदोलन के प्रमुख नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें एंबुलेंस से चंडीगढ़ ले जाया गया। उनके साथ डॉक्टरों की एक टीम भी मौजूद है, जो लगातार उनकी सेहत पर नजर रख रही है।
जानकारी के अनुसार, डल्लेवाल पिछले कई दिनों से आंदोलन के दौरान किसानों के साथ डटे हुए थे। लगातार संघर्ष और बदलते मौसम के कारण उनकी तबीयत खराब हो गई। उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत उन्हें चंडीगढ़ रेफर करने का निर्णय लिया। जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत बिगडऩे की खबर से किसानों में चिंता का माहौल है। आंदोलनकारी किसान उनके जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं।
किसान नेता डल्लेवाल लंबे समय से किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनकी यह भूमिका आंदोलन के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

गले में भगवा गमछा और हाथ में लाठी

पार्कों में जाकर हिंदू संगठन की अराजकता, केस दर्ज

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
गाजियाबाद। इंदिरापुरम थानाक्षेत्र के नीतिखंड स्थित स्वर्ण जयंती पार्क में बैठने वाले युवक-युवतियों को धमकाने वाले हिंदू संगठन के लोगों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। कार्रवाई सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुईं वीडियो के बाद की गई।
दरअसल मामला दो दिन पहले का है। वैलेंटाइन सप्ताह में होने वाले हग डे के दिन इंदिरापुरम के कनावनी निवासी विपिन गुर्जर खुद को हिंदू संगठन का पदाधिकारी बताते हुए अपने साथियों के साथ स्वर्ण जयंती पार्क में पहुंचा। सभी के हाथों में लाठी-डंडे और गले में भगवा व लाल गमछे पड़े थे। सभी ने डंडा दिखाते हुए पार्क में बैठे युवक-युवतियों से पूछताछ शुरू कर दी। धमकाते हुए उनका आधार कार्ड व पहचान पत्र मांगने लगे। यहां तक कि युवक-युवतियों को यह भी बोल दिया गया कि यहां से निकल जाओ, समझ नहीं आया तो डंडे से समझाएं।गुंडई ऐसी कि पार्क में बैठे विवाहितों तक को आरोपियों ने धमकाकर भगा दिया। हद तो तब हो गई जब संगठन के लोगों ने पूरे वेलेंटाइन वीक को जिहाद से जोडक़र अलग रुख दे दिया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए तुरंत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए गए थे। चौकी प्रभारी बृजपाल सिंह की तहरीर पर विपिन गुर्जर समेत चार-पांच अज्ञात युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
क्षेत्र में किसी भी तरह की अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच की जा रही है।

तमिलनाडु प्रदूषण बोर्ड को सुप्रीम फटकार

ईशा फाउंडेशन के खिलाफ देर से याचिका दाखिल करने पर पूछा सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) को कड़ी फटकार लगाई है, क्योंकि उसने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दो साल बाद याचिका दायर की है, जिसमें 2006 से 2014 के बीच कई इमारतों का निर्माण करने के लिए ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कारण बताओ नोटिस को रद्द करने का आदेश दिया गया था। ये मामला कोयंबटूर जिले में बने योग केंद्र से जुड़ा है, जिसे सदगुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन ने बनाया है।
मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जारी नोटिस को रद्द कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने टीएनपीसीबी की याचिका को नौकरशाहों का मैत्रीपूर्ण खेल करार दिया और कहा कि यह सिर्फ अदालत की औपचारिक मंजूरी लेने जैसा है।

तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने महाधिवक्ता पीएस रमन से कहा कि अब जब ईशा फाउंडेशन ने कोयंबटूर जिले के वेल्लियांगिरी में एक योग और ध्यान केंद्र का निर्माण किया है, तो राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यावरण अनुपालन हो। वहीं इस मामले में ईशा फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत से शिवरात्रि के बाद मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया, उन्होंने कहा कि एक बड़ा समारोह आयोजित किया जाना है। कारण बताओ नोटिस में तर्क दिया गया था कि फाउंडेशन ने पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त किए बिना वेल्लियांगिरी की तलहटी में इमारतों का निर्माण किया था। केंद्र सरकार ने पहले उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि फाउंडेशन एक स्कूल चलाने के अलावा योग की शिक्षा भी दे रहा है। इसलिए, यह शिक्षा के दायरे में आएगा।

मामले में महाशिवरात्रि के बाद होगी सुनवाई

पीठ ने मामले की सुनवाई शिवरात्रि के बाद तय की। 14 दिसंबर, 2022 को, यह मानते हुए कि कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की तरफ से स्थापित सुविधाएं शिक्षा श्रेणी में आएंगी, उच्च न्यायालय ने टीएनपीसीबी के नोटिस को खारिज कर दिया, जिसमें पूछा गया था कि 2006 और 2014 के बीच कई भवनों के निर्माण के लिए अभियोजन क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने 19 नवंबर, 2021 के नोटिस को रद्द कर दिया, जबकि फाउंडेशन की ओर से इसके संस्थापक जग्गी वासुदेव की तरफ से प्रतिनिधित्व की गई याचिका को स्वीकार कर लिया।

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