पवार परिवार की लड़ाई ‘द्रौपदी’ पर आई, अजित पवार ने बिगाड़ा अपना खेल

मुंबई। देश के अंदर लोकसभा चुनावों के आगाज में अब सिर्फ एक दिन का ही समय बाकी रह गया है। कल यानी 19 अप्रैल को देश के अंदर सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है। 19 अप्रैल को पहले चरण में 21 राज्यों की कुल 102 सीटों पर वोटिंग होनी है। इस चरण में मतदाता चुनाव मैदान में उतरे 1625 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।  ऐसे में पूरे देश में अब चुनावी माहौल चरम पर है। आज पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार भी थम चुका है। और कल पहले चरण के प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी। इस बीच आने वाले चरणों के लिए भी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। और अपने सियासी दांव-पेंच से योजनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया है। इस बीच 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र राज्य में भी सियासी हलचल काफी तेज है। यहां सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के ही ओर से अपने-अपने सियासी समीकरण साधे जा रहे हैं और सियासी दांव-पेंच चले जा रहे हैं। इस दौरान नेताओं द्वारा सियासी बयानवाजी और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी लगातार जारी है।

महाराष्ट्र में इस बार एनसीपी के बीच एक जबरदस्त फाइट देखने को मिल रही है। दरअसल, इस बार शरद पवार के द्वारा स्थापित एनसीपी दो खेमों में बंट गई है। एनसीपी के एक खेमे की अगुवाई खुद शरद पवार कर रहे हैं। तो वहीं अपने चाचा से बगावत करके अजित पवार ने एनसीपी में एक दूसरा गुट तैयार कर लिया है। जिसका नेतृत्व भी अजित पवार ही कर रहे हैं। इसलिए इस बार पवार परिवार आमने-सामने है। और इस लोकसभा चुनाव में दोनों ही ओर से पवार पावर को दिखाने की जद्दोजेहद जारी है। चाचा-भतीजे दोनों ही ये दिखाने में लगे हैं कि असली पवार पावर किसके पास है। बेशक शरद पवार को सिम्पैथी और उनके लंबे सियासी अनुभव का लाभ मिलता दिखाई दे रहा है। तो वहीं दूसरी ओर भाजपाई सत्ता की गोदी में जा बैठे अजित पवार को उम्मीद है कि सत्ता का साथ उनका भला कर सकता है।

यही कारण है कि अजित पवार ने परिवार में भी फाइट करा दी है। दरअसल, बारामती लोकसभा सीट जो काफी लंबे वक्त से एनसीपी का गढ़ रही है और शरद पवार का यहां पर अपना काफी प्रभाव रहा है। यहां से पवार परिवार का सदस्य ही सांसद रहा है। पिछले तीन बार से सुप्रिया सुले बारामती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करती आई हैं। इस बार भी सुप्रिया सुले चुनावी मैदान में हैं। लेकिन इस बार उनके सामने चुनौती किसी और ने नहीं बल्कि खुद उनके ‘दादा’ ने खड़ी की है। दरअसल, अजित पवार ने सुप्रिया सुले के सामने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती से उम्मीदवार बनाया है। सुनेत्रा महायुति गठबंधन की उम्मीदवार हैं। यानी उन्हें भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) का समर्थन प्राप्त है। यही वजह है कि बारामती लोकसभा सीट को लेकर सियासी पारा काफी हाई है। तो वहीं इस सीट के अलावा भी पवार परिवार की फाइट के चलते पूरे प्रदेश का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प हो गया है।

इस बीच एनसीपी शरद पवार की प्रत्याशी व मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले ने आज बारामती लोकसभा सीट के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस बीच अपनी भाभी व अजित पवार की एनसीपी की प्रत्याशी सुनेत्रा पवार से अपने मुकाबले को लेकर सुप्रिया सुले ने कहा कि मेरा काम, मेरी योग्यता देखने के बाद मुझे पूरा भरोसा है कि जनता मेरे साथ जरूर खड़ी होगी। इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या पानी की है। इसलिए मुझे लगता है कि प्रशासन को आज इस सूखे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। बता दें कि पिछले 27 साल से इस सीट पर पवार परिवार का कब्जा है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार बारामती से पांच बार सांसद रहे। उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी तीन बार और उनके भतीजे अजित पवार एक बार संसद सदस्य रह चुके हैं।

बारामती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मतदान चौथे चरण में होगा। यानी 13 मई को यहां वोट डाले जाएंगे। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो सुप्रिया सुले (एनसीपी) ने 686,714 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कंचन राहुल कुल बीजेपी से उम्मीदवार थे। जिन्हें 530,940 वोट मिले थे और वो दूसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट से प्रकाश आंबेडकर की पार्टी के उम्मीदवार पडलकर नवनाथ (VBA) 44,134 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। बारामती लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव 2024 की लड़ाई पवार परिवार के बीच ही है। इस सीट से शारद गुट और अजित गुट में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है।

वहीं चुनावी मौसम में नेताओं द्वारा सियासी बयानवाजी और एक-दूसरे आरोप-प्रत्यारोप भी काफी तेज हो गए हैं। इस बीच पवार परिवार में भी सियासी हमले लगातार जारी हैं। चाचा और भतीजे के बीच लगातार सियासी तीर छोड़े जा रहे हैं। शरद पवार ने अजित पवार पर निशाना साधते हुए उन्हें बाहरी पवार बताया था। सीनियर पवार के इसी बयान को लेकर अब प्रदेश का सियासी पारा हाई है। इसके बाद से दोनों गुटों के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है। हालांकि अपने बयानों को लेकर कुछ दिन पहले शरद पवार ने सफाई भी दी थी लेकिन इस बयान पर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब अजित पवार ने चाचा के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पलटवार किया है।

अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार से जब शरद पवार के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी जवाब नहीं दिया लेकिन इससे पहले वो कुछ भी बोलती उनकी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन अब अजित पवार ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए शरद पवार के इस बयान पर तीखा हमला बोला है। वकीलों और डॉक्टरों की एक सभा को संबोधित करते हुए अजित पवार ने एक डॉक्टर महिला का नाम लेकर शरद पवार पर निशाना साधा और कहा कि अगर आप बहू बनकर भी आएंगी तो भी हम आपको बाहरी नहीं कहेंगे। हमारी लक्ष्मी हैं। इसलिए आपको अपने मरीजों से पूछना चाहिए कि राजनीति में क्या चल रहा है।

अजित पवार ने भी तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारा नाम लो तो अच्छा बोलो, दूसरों का नाम लो तो जोर से बोलो। साथ ही उन्होंने सुप्रिया सुले पर भी निशाना साधा। अजित ने सुप्रिया सुले पर आरोप लगाया है कि मैंने मौजूदा सांसद के लिए वोट मांगा लेकिन कोई केंद्रीय प्रोजेक्ट यहां नहीं आया। उन्होंने राहुल गांधी की भी आलोचना करते हुए कहा कि अगर राहुल गांधी को विकल्प के तौर पर देखा जाएगा तो क्या होगा।

सियासी बयानवाजी और आरोप-प्रत्यारोप दोनों ही तरफ से जारी हैं। यही कारण है कि अजित पवार और शरद पवार की जुबानी जंग अब बेटी-बहू से आगे बढ़ते हुए द्रौपदी तक पहुंच गई है। शरद पवार गुट ने इसकी कड़ी आलोचना की है। विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि अजित पवार के दिमाग का जहर बाहर आ गया है। दरअसल, एक दिन पहले एक जनसभा को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा था कि हमने देखा कि कुछ जिलों में लड़कों और लड़कियों के बीच जन्मदर में भारी असमानता थी।

1000 लड़कों पर 800 से 850 लड़कियों का औसत था। यह दर अब घटकर 790 तक पहुंच गई, आगे बढ़ना मुश्किल होगा। अजित ने कहा कि आगे हमें किसी द्रौपदी के बारे में सोचना होगा क्या? ऐसी घटना भी सामने आ सकती है। हालांकि, इसके तुरंत बाद स्थिति को संभालते हुए अजित पवार ने कहा कि मजाक वाला हिस्सा छोड़ दीजिए, नहीं तो वे कहेंगे कि अजित पवार ने द्रौपदी का अपमान किया। मैं किसी का अपमान नहीं करना चाहता और सीधे तौर पर अपना हाथ जोड़ लिया। लेकिन अजित पवार के इस बयान पर विवाद पैदा हो गया है।

अजित के इस बयान को लेकर अब शरद पवार गुट पूरी तरह से हावी है और उन पर निशाना साध रहा है। शरद पवार गुट के जितेंद्र आव्हाड ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर आगे लाने का प्रयास करने वाले काका (शरद पवार) ने महिलाओं को मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया। शिवाजी महाराज ने कर्मकांड का विरोध किया। महात्मा फुले ने महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खोले। द्रौपदी का क्या मतलब है? अजित पवार के दिमाग का जहर बाहर आ गया है। अजित पवार को सभी महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए।

वहीं आगे बारामती सीट पर सुप्रिया सुले व शरद पवार को निशाने पर लेते हुए अजित पवार ने कहा है कि कितने दिन तक सास के दिन चलते रहेंगे, कभी बहू के भी दिन आएंगे। कब तक सास-सास करते रहेंगे। बहू को क्या बस देखते रहना है? कब तक वह बाहर की रहेगी। हम सब बहू को घर की लक्ष्मी मानते हैं, अब 40 बरस हो गए, फिर भी वह बाहर की है। बहू को घर की लक्ष्मी बनने में अभी कितने दिन लगेंगे? बता दें कि शरद पवार ने अजित पवार की पत्नी और बारामती से महायुति की उम्मीदवार सुनेत्रा पवार को बाहरी कहा था।

जाहिर है कि चुनावी मौसम में नेताओं द्वारा सियासी हमले लगातार जारी है। औक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है। इस बीच महाराष्ट्र में पवार पावर का गेम भी जारी है। फिलहाल देखना ये है कि इस गेम में आने वाले वक्त में बाजी कौन मारता है।

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