राजभर पका रहे नई खिचड़ी, टेंशन में सपा
- अखिलेश पर साधा निशाना, विधानसभा में नहीं दिया सपा का साथ
लखनऊ। सपा के सहयोगी सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला। उनकी राजनीतिक सक्रियता पर सवाल खड़े करते हुए ओम प्रकाश ने अखिलेश को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि घर बैठे राजनीति नहीं की जा सकती है। उन्होंने अखिलेश को कार्यकर्ताओं के बीच जाने की नसीहत दी। राजभर ने तर्क दिया कि घर बैठकर मायावती ने राजनीति की तो आज विधानसभा में उनकी पार्टी से एक विधायक हैं। यही काम कांग्रेस ने किया था, उसका हश्र भी सामने है। उन्होंने कहा 2027 में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए हमें 2024 में केंद्र में मजबूत नहीं मजबूर सरकार बनाने का काम करना है। कायदे से अखिलेश को चाहिए था कि में सहयोगी रहे सभी घटक दलों को बुलाकर सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा करते। इससे पहले विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ओम प्रकाश अच्छे श्रोता की तरह उन्हें सुनते रहे। सपा की विरोध की रणनीति के साथ नहीं गए। उन्होंने कहा कि गलत परंपराओं को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। राजभर ने कहा कि वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में हम मुफ्त शिक्षा, गरीबों को मुफ्त इलाज, बिजली आदि मुद्ïदों के साथ जनता के बीच गए थे। कुछ को समझा पाए, लेकिन बड़े पैमाने पर मतदाताओं को हम नहीं समझा सके। नतीजतन 87 सीटें महज 200 से 1000 मतों के अंतर से हार गए।
अखिलेश को इन हारी हुई सीटों पर जनता के बीच जाने की जरूरत है। बता दें कि पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए राजभर के तीखे बयानों ने योगी सरकार को परेशान कर रखा था। बात बिगड़ती गई और वह सरकार से बाहर हो गए। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने छोटे दलों की गोलबंदी से सपा और भाजपा दोनों को अपनी तरफ आकर्षित किया। गठबंधन की गांठ सपा से जुड़ गई। ओम प्रकाश लगातार दावा करते रहे थे कि सपा के गठबंधन से सरकार बनाएंगे। दावा फेल होने के बाद ओम प्रकाश ने पहली बार पैंतरा नहीं बदला है। वह नतीजे आने के बाद ही कहने लगे थे कि उन्हें तो पहले ही चरण के मतदान में हार दिखने लगी थी, लेकिन मतदान समाप्त होने तक वह बोल नहीं सकते थे।
नए सियासी समीकरण के संकेत
विधानसभा चुनाव के नतीजे के तकरीबन 60 दिन बाद सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर हमला बोल सबको हैरत में डाल दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब वह अपने नए सियासी साथी अखिलेश यादव के खिलाफ बोले हैं। अब इसे सियासी हलकों में मिशन-2024 की पैंतरेबाजी के रूप में देखा जाने लगा है। निहितार्थ निकाले जा रहे हैं कि क्या लोकसभा चुनावों में राजभर फिर पुराने सियासी गठबंधन की ओर लौटेंगे?
हसन ने सत्ता पक्ष को कई बार संकट से उबारा : दिनेश शर्मा
- विधान परिषद में निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष की तारीफ
लखनऊ। विधान परिषद में निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। सत्ता पक्ष व विपक्ष सभी ने एक स्वर में अहमद हसन के व्यक्तित्व की तारीफ की और कहा उनका प्रशासनिक व राजनीतिक दोनों ही कार्यकाल बेदाग व निष्कलंक था। नेता सदन स्वतंत्र देव सिंह ने अहमद हसन के निधन पर शोक प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में कोई भी दाग नहीं लगने दिया। उनके निधन से सदन का भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। नेता विरोधी दल संजय लाठर ने उनके निधन को राजनीति की बहुत बड़ी क्षति बताया। पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने अपने पांच साल के अनुभव बताए और कहा कई बार उन्होंने सत्ता पक्ष को भी संकट से उबारा है। उन्होंने कहा कि जब वे नेता सदन थे तो कई बार विपक्ष की संख्या अधिक होने के कारण संकट पैदा हो जाता था। ऐसे ही एक बार सत्ता पक्ष और विपक्ष एक मसले पर अपने-अपने तर्क पर अड़े हुए थे, सदन में उस बिल का पास होना जरूरी था। इसी बीच मैंने एक पर्ची लिखकर अहमद हसन के पास भेजी, जिसमें इस मसले का हल निकालने के लिए कहा था। उन्होंने उसी पर्ची पर लिख दिया कि हल ओम प्रकाश शर्मा निकाल सकते हैं।
इसके बाद ओम प्रकाश शर्मा को बीच में डाला गया और उनकी बात पर सभी सहमत हो गए। नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने कहा कि उनके नेतृत्व में दृढ़ता बहुत थी। उनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। नेता बसपा दिनेश चन्द्रा, नेता कांग्रेस दीपक सिंह, अपना दल के आशीष पटेल, निषाद पार्टी के संजय कुमार निषाद, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अक्षय प्रताप सिंह, शिक्षक दल के सुरेश कुमार त्रिपाठी, निर्दलीय समूह के राजबहादुर सिंह चंदेल, शतरुद्र प्रकाश, देवेंद्र प्रताप सिंह, मोहसिन रजा, राजपाल कश्यप, हरी सिंह ढिल्लो, नरेश उत्तम पटेल, डा. जयपाल सिंह व्यस्त, डॉ. महेंद्र सिंह, सुरेंद्र चौधरी, आशुतोष सिन्हा, डॉ. मान सिंह यादव आदि ने भी अहमद हसन के निधन पर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं।