देश में अराजकता फैलाने की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट में जूता उछालने वाली घटना पर सीजेआई की मां कमला ताई का सख्त रिएक्शन

- बोलीं- किसी को भी अव्यवस्था फैलाने का अधिकार नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में हुई जूता उछालने वाली घटना पर भारत के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई बी आर गवई की मां कमलाताई गवई ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस घटना को संविधान पर हमला और देश में अराजकता फैलाने की कोशिश बताया है। यह सीजेआईकी मां की इस हमले के बाद पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया है। यह घटना तब हुई जब सीजेआई गवई की अगुवाई वाली बेंच में केस की सुनवाई चल रही थी। तभी एक वकील ने एक जूता उछालने को कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उस वकील को बाहर निकाला। बाद में उस आरोपी की पहचान वकील राकेश किशोर के रूप में हुई। जब उसे कोर्ट रूम से ले जाया जााया जा रहा था, तब किशोर चिल्लाया, सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।
वह खजुराहो विष्णु मूर्ति बहाली मामले की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों का जिक्र कर रहा था। मंगलवार को अमरावती में पत्रकारों से बात करते हुए कमलाताई ने कहा, ऐसे काम अराजकता फैलाते हैं। हर नागरिक को अपनी असहमति व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। हमें अपने लोकतांत्रिक संस्थानों की गरिमा की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने संयम और आपसी सम्मान का आह्वान करते हुए कहा, यह सिर्फ एक व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि एक जहरीली विचारधारा का हिस्सा है जिसे फैलने से पहले रोका जाना चाहिए। ऐसी घटनाएं हमारे संविधान का अपमान करती हैं और हमारे राष्ट्रको शर्मिंदा करती हैं। जो कोई भी संविधान के खिलाफ काम करता है, उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। डॉ. बी.आर. अंबेडकर के दृष्टिकोण में अपना विश्वास दोहराते हुए कमलाताई ने कहा, बाबासाहेब अंबेडकर ने हमें जीओ और जीने दो के सिद्धांत पर आधारित एक समावेशी संविधान दिया है। किसी को भी अव्यवस्था फैलाने का अधिकार नहीं है। मैं लोगों से आग्रह करती हूं कि वे अपने मुद्दों को शांतिपूर्वक और संवैधानिक माध्यमों से हल करें। यह बयान कुछ ही दिनों बाद आया है जब कमलाताई ने दलित समूहों की ओर से विरोध के बाद अमरावती में आरएसएस शताब्दी समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया था।
जातिवादी विचारधारा समाज के लिए अभिशाप : हुड्डा
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश के घटनाक्रम ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस घटना पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा सीजेआई पर इस तरह का घृणित प्रहार करना बताता है कि हमला करने वाला व्यक्ति किस घृणित मानसिकता का होगा। सांसद ने कहा समाज में इस तरह की मानसिकता हम सबके लिए पीड़ा का विषय है। वह मंगलवार को वाल्मीकि जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति को वकालत से डी-बार करने से कुछ नहीं होगा। सरकार को उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि इसके पीछे एक जातिवादी विचारधारा बताई जा रही है, जो हमारे समाज के लिए एक कैंसर की बीमारी है। इसलिए इस पर सरकार को कठोरता से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पूरे देश में एक संदेश जाए कि देश संविधान से चलेगा और संविधान में देश का हर नागरिक बराबर है।
मुख्य न्यायाधीश पर हमला शर्मनाक घटना : पायलट
पायलट ने मुख्य न्यायाधीश पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह हम सब देशवासियों के लिए अत्यंत दुखद और शर्मनाक घटना है। हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं में इस तरह की हिंसा या असहिष्णुता की कोई जगह नहीं है। असहमति का मतलब टकराव नहीं होता। विचारों के मतभेद लोकतंत्र की ताकत हैं, कमजोरी नहीं। उन्होंने कहा कि इस घटना ने देश में कड़वाहट पैदा की है और जो लोग ऐसी हरकत करते हैं, वे लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर करते हैं।
गवई पर हमले से बिहार कांग्रेस अध्यक्ष रो पड़े
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम उस समय रो पड़े जब उन्होंने एक वकील द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश के बारे में बात की। राम, जो खुद भी दलित हैं, ने कहा कि यह दर्द सभी दलितों को होता है। न्यायमूर्ति गवई ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित जाति समूह, दलितों से मुख्य न्यायाधीश बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, तथा पहले बौद्ध हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट पर हमला है। (और) लाखों दलितों का अपमान है। इस पर उनकी आंखों में आंसू आ गए। राजेश राम ने पटना में एक प्रेस वार्ता में कहा कि हम जानते हैं कि समाज में इतनी ऊंचाई तक पहुंचने से पहले, एक व्यक्ति को कितने लंबे समय तक कितनी त्रासदियां और कितना दर्द सहना पड़ता है। उसके बाद भी, जब समाज उसे स्वीकार नहीं करता, तो आप अपने घर की चारदीवारी में भी अपमानित महसूस करते हैं।उन्होंने हिंदी में कहा कि एक दलित होने के नाते, इससे ज़्यादा गहरी भावना और क्या हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि हमें हमेशा से, यहंा तक कि विधानमंडलों के भीतर भी, आज तक भेदभाव सहना पड़ा है।



