तो क्या टल गया ऑपरेशन यूपी
लखनऊ। जब से यह खबर सामने आई कि यूपी भाजपा को लेकर दिल्ली में एक उच्च स्तरीय मीटिंग हुई और इसमें कुछ अहम फैसले लिए गए हैं उसके बाद से ही ऐसी चर्चा चल रही थी कि यूपी में कुछ खास होने वाला है। इस बाद के घटनाक्रम ने ऐसा माहौल बना दिया कि हर ओर यह चर्चा चल निकली कि यूपी की सियासत में लोग की सोच परे कुछ होने वाला है। हलांकि यूपी में सियासी पारा लगातार गर्म है। भारतीय जनता पार्टी में लगातार उच्चस्तरीय बैठकों का सिलसिला जारी है, लेकिन, सूत्रों की माने तो यूपी में विधानसभा चुनाव तक कोई बदलाव नहीं होगा। परिवर्तन न तो कैबिनेट में होगा और न ही संगठन में। सरकार और संगठन के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि यूपी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
यूपी में कैबिनेट विस्तार और संगठन फेरबदल की चर्चा उस वक्त शुरू हुई जब यूपी को लेकर बीजेपी में एक हाई लेवल मीटिंग होने की खबर आई। इस बैठक में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा सर संघ दत्तात्रेय होसबले और राज्य संगठन मंत्री सुनील बंसल मौजूद थे, लेकिन अगले दिन संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इससे इनकार किया। लेकिन इसके तुरंत बाद होसबले के लखनऊ दौरे ने एक बार फिर इन अटकलों पर जोर दिया।
संघ के सूत्रों का कहना है कि होसबले का लखनऊ दौरा पहले से तय था। इस दौरान उनकी मुलाकात किसी राजनीतिक व्यक्ति से नहीं हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ बैठक ने भी कैबिनेट फेरबदल की चर्चाओं को हवा देने का काम किया। फिर राजभवन के सूत्रों ने भी इस बैठक को रूटीन मीटिंग बताया। राजभवन सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री और राज्यपाल की यह बैठक पहले से ही तय थी।
कहा गया कि सीएम और राज्यपाल की बैठक नियमित होती है। राज्यपाल आनंदीबेन अचानक नहीं बल्कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भोपाल से लखनऊ आई थीं। चूंकि राज्यपाल के पास मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार भी है, इसलिए उन्हें भोपाल में भी रहना पड़ता है। इसी तरह बीजेपी सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष का यूपी का दौरा भी पहले से तय था। इससे कुछ दिन पहले बीएल संतोष ने उत्तराखंड का दौरा किया था।
नाम न छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने बताया कि भाजपा आलाकमान का मानना है कि कोरोना के हालात को देखते हुए विधानसभा चुनाव में समय की कमी के कारण सरकार और संगठन में फेरबदल का संदेश ठीक नहीं होगा इसलिए भाजपा आलाकमान ने सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि कोरोना काल में सेवा ही संगठन अभियान के माध्यम से जनकल्याण से जुड़ें ताकि यूपी में निम्न वर्ग तक यह संदेश पहुंचे कि योगी सरकार और पार्टी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। जबकि विपक्षी नेता केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही नजर आ रहे हैं।
ऐसे में पार्टी और सरकार को कोरोना काल में भी फिट रहने के निर्देश से साफ है कि सरकार की बागडोर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव के हाथों में ही रहेगी। फिलहाल अभी यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वकाई इन मीटिंगों का उद्देश्य वही है जो बताया जा रहा है या फिर मामला कुछ और है।