रूस में जमी लखनवी दास्तानगोई की धाक

  • हिमांशु बाजपेयी ने सुनाई राजकपूर-शैलेंद्र की दोस्ती की दास्तां

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लखनऊ के जाने-माने दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी ने रुस की राजधानी मॉस्को में लखनवियत का परचम लहराया है। हिमांशु ने रुस में दो अति महत्वपूर्ण स्थानों पर दो प्रस्तुतियां दीं। हिमांशु ने 30 नवंबर को मॉस्को के भारतीय दूतावास में आयोजित एक प्रोग्राम में अभिनेता निर्देशक राजकपूर और फिल्म गीतकार शैलेंद्र की दोस्ती पर केंद्रित अपनी ताज़ा दास्तान की सबसे पहली प्रस्तुति दी। ये पहला मौक़ा था जब रुस में भारतीय दूतावास में दास्तानगोई की महफि़ल सजी थी। इसके बाद 1 दिसंबर को पेरेजेलकिना के विश्वविख्यात राइटर्स विलेज में भी इसी दास्तान की एक अन्य प्रस्तुति हुई।
इस राइटर्स विलेज का निर्माण मैक्सिम गोरकी एवं अन्य महान रूसी लेखकों की पहल पर सोवियत संघ में हुआ था। दुनिया भर के लेखकों के लिए ये एक महान केंद्र है, दूर दूर से लेखक इसे देखने के लिए आते हैं। कार्यक्रम का आयोजन इंडियन एंबेसी के जवाहर लाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र, आईसीसीआर, एवं हिंदुस्तानी समाज मॉस्को के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर रुस में भारत के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन निखिलेश गिरी मौजूद रहे। इसके अलावा जवाहर लाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक मधुर कांकना राय, हिंदुस्तानी समाज रुस के अध्यक्ष कश्मीर सिंह, केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एवं अनुवादक सोनू सैनी, लेखक इंद्रजीत सिंह एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

मुंबई में हुए मुशायरे में शैलेंद्र व राजकपूर की मुलाकात पर चर्चा से आगे बढ़ा कारवां

दास्तान की शुरुआत आज़ादी के तुरंत बाद मुंबई में हुए मुशायरे में शैलेंद्र अपनी नज्म सुना रहे हैं- जलता है जलता है पंजाब हमारा प्यारा, राजकपूर को ये नज़्म बहुत पसंद आती है और वो शैलेंद्र से अपनी अगली फि़ल्म के लिए गाना लिखने की गुज़ारिश करते हैं मगर शैलेंद्र बड़ी साफग़ोई से मना कर देते हैं कि वो पैसे के लिए नहीं लिखते हैं, मगर जब 1949 में पत्नी के गर्भवती होने पर शैलेंद्र को पैसे की सख्त ज़रूरत थी तो राजकपूर उन्हें 500 रुपये देकर उनकी मदद करते हैं तो शैलेंद्र राजकपूर के क़ायल हो जाते हैं और यहीं से उनकी दोस्ती की शुरुआत होती है। राजकपूर के कहने पर शैलेंद्र अपनी रेलवे की नौकरी छोड़ देते हैं और फिल्म इंडस्ट्री में फ़ुलटाइम गीतकार बन जाते हैं।

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