कांग्रेस से राज्य सभा जाएंगे प्रमोद तिवारी, इमरान प्रतापगढ़ी को टिकट देकर पार्टी ने चौंकाया
लखनऊ। अखिल भारतीय राष्टï्रीय कांग्रेस कमेटी की ओर से दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी और शायर से नेता बने इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा का टिकट दिए जाने के बाद केंद्र की राजनीति में बरसों बाद एक बार फिर से प्रतापगढ़ का रसूख बड़ा है। यह पहला मौका होगा जब जिले से एक साथ दो लोग राज्यसभा के लिए दावेदारी करेंगे। प्रमोद तिवारी को दूसरी बार राज्यसभा जाने का मौका मिल सकता है। इससे पहले वह 2013 में सपा के सहयोग से उत्तर प्रदेश से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए थे। दूसरी तरफ इमरान प्रतापगढ़ी को केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर होने और सरकार के फैसलों के विरोध में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का इनाम मिला है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सियासत में कदम रखने वाले इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजने का फैसला लेकर कांग्रेस ने सबको चौंका दिया है। सूबे की सियासत में हमेशा से अपना वर्चस्व कायम रखने वाले प्रतापगढ़ को केंद्र की राजनीति में लंबे समय से वह मुकाम हासिल नहीं हो सकता था जो कभी राजा दिनेश सिंह के समय हुआ करता था। यहां से अलग-अलग दलों के सांसद चुने जाते रहे। दूसरे जिलों से आए लोगों ने भी यहां का प्रतिनिधित्व किया।
पहली बार ऐसा मौका आया है जब जिले से एक साथ दो लोगों को राज्यसभा जाने का मौका मिला है। इससे पहले राजा दिनेश सिंह और प्रमोद तिवारी एक एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। राजस्थान से राज्यसभा सांसद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी का चार साल का राजनीतिक वनवास भी खत्म हो गया है। 1980 से 2013 तक रिकॉर्ड नौ बार विधायक और पांच बार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता रहे प्रमोद तिवारी इससे पहले वर्ष 2013 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए थे। अपने कार्यकाल के दौरान संसद में सटीक तथ्यों और बेहद सधे अंदाज में मोदी सरकार को घेरने वाले प्रमोद तिवारी का कार्यकाल वर्ष 2018 में समाप्त हो गया था।
भाजपा की लहर में भी रामपुर खास सीट जिताने में रहे सफल
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की आंधी में भी प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा सीट कांग्रेस को जिताने में वह कामयाब रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी वह रामपुर खास सीट से अपनी बेटी आराधना मिश्रा मोना को लगातार तीसरी बार विधायक बनाने में सफल हुए। चुनाव से पहले कांग्रेस की राष्टï्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की प्रभारी रहीं प्रियंका गांधी के साथ वे लगातार सक्रिय रहे। वह कांग्रेस के कुछ चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिन्होंने मुश्किल दौर में भी पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। राजनीति के जानकारों का मानना है कि वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस मैं उत्तर प्रदेश में अपने ही सकते जनाधार को मजबूत करने के लिए एक संदेश देने का प्रयास किया है।
रामपुर में प्रत्याशी नहीं उतारेंगी मायावती
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी लोकसभा की दो सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में आजमगढ़ से उम्मीदवार उतारेगी। रामपुर सीट पर वह उम्मीदवार नहीं उतारेगी। मायावती ने ऐसा करके एक तीर से दो निशाना साधा है। पहला मोहम्मद आजम खान और दूसरा मुस्लिमों में यह संदेश जाएगा कि बसपा ही उनकी हितैषी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी मुख्यालय पर आयोजित मंडल प्रभारियों और जिलाध्यक्षों की बैठक के समापन पर यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि बसपा के पास ही भाजपा को जड़ से हिलाने की शक्ति है। कांग्रेस को पहले हिला चुकी है। मायावती ने विजय प्रताप गौतम कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, चित्रकूट, झांसी, आजमगढ़। राजकुमार गौतम आगरा, सहारनपुर, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, अलीगढ़। मुनकाद अली लखनऊ, अयोध्या, देवीपाटन, गोरखपुर, बस्ती व वाराणसी को प्रदेश प्रभारी पद पर जिम्मेदारी दी है। साथ ही लखनऊ दिनेश चंद्रा, भीमराव अंबेडकर, नौशाद अली। कानपुर नौशाद अली, भीमराव अंबेडकर, संघप्रिय गौतम को मंडल की जिम्मेदारी सौंपी है।
कल से कांग्रेस का संकल्प शिविर, प्रियंका गांधी लेंगी भाग
लखनऊ। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य मुख्यालय पर 1 व 2 जून को ‘नव संकल्प शिविरÓ आयोजित करने जा रही है। राज्यस्तरीय इस शिविर में पार्टी की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ प्रदेश पदाधिकारी, जिला व शहर अध्यक्ष, पूर्व सांसद व विधायक, विधानसभा चुनाव-2022 व लोकसभा चुनाव-2019 के प्रत्याशी, फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष, विभाग एवं प्रकोष्ठों के प्रदेश चेयरमैन व अध्यक्ष और मीडिया विभाग के प्रवक्ता शामिल होंगे। संसदीय राजनीति के लिहाज से यूपी में कांग्रेस शून्य की ओर बढ़ रही है। विधान परिषद में बचे एकमात्र सदस्य दीपक सिंह का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो जाएगा। इसके बाद निकट भविष्य में पार्टी के किसी प्रतिनिधि का परिषद में पहुंचना मुमकिन नहीं है। विधानसभा में भी उसके केवल दो सदस्य हैं। प्रदेश की राजनीति में उसका वोट शेयर भी 2.5 फीसदी से नीचे आ गया है। यह अब तक के संसदीय इतिहास में सबसे कम है। पार्टी के शुभचिंतकों का कहना है कि इस स्थिति के कारणों का पता लगाने के लिए दिल्ली में प्रियंका गांधी समीक्षा कर चुकी हैं।