राजस्थान में पहले चरण की वोटिंग के बाद भाजपा के छूटे पसीने

जयपुर। देश के अंदर लोकसभा चुनावों को लेकर सियासी पारा काफी हाई है। शुक्रवार 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होने के बाद देश में सियासी हलचल और भी तेज हो गई है। एक ओर सभी दल इस चरण में शामिल सीटों पर अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। तो वहीं कुछ राज्यों में हुई कम वोटिंग को लेकर चिंता भी जाहिर की जा रही है। और अगले चरण के लिए भी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने कमर कस ली है। इस बीच राजस्थान में भी सियासी सरगर्मी काफी तेज है। पहले चरण के मतदान में राजस्थान की 25 सीटों में से 12 सीटों पर मतदान हुआ है। इसके बाद राज्य की सियासत गरमाई हुई है और भाजपा व कांग्रेस दोनों की ओर से अपनी-अपनी जीत के दावे किए जा रहे हैं।

लेकिन राजस्थान में पहले चरण में हुए मतदान में कम वोटिंग को लेकर भी सियासी दलों में चिंता बनी हुई है। पहले चरण के मतदान को लेकर पिछले दो लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो, इस बार वोटिंग परसेंटेज कम रहा है। चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों में 12 लोकसभा सीटों पर 57.87 फीसदी मतदान रहा है। अब वोटिंग प्रतिशत कम रहने पर सियासी दलों की ओर से अपने-अपने कयास लगाए जा रहे हैं। एक ओर भाजपा का कहना है कि कम वोटिंग प्रतिशत का लाभ उसे मिलेगा। तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस कम वोटिंग प्रतिशत के बाद भी प्रदेश की अधिकतर सीटों पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 में से 25 सीटों पर भाजपा ने ही जीत हासिल की थी।

जबकि कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में होने के बाद भी एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी। ऐसे में एक ओर भाजपा इस बार फिर से अपने 2019 वाले लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की कवायद में लगी हुई है। तो वहीं कांग्रेस इस बार अपने बढ़ते प्रदर्शन की आस लगाए बैठी हुई है। लेकिन पहले चरण में हुए कम वोट प्रतिशत के बाद अब अब दोनों ही तरफ से अपनी-अपनी जीत के दावे किए जा रहे हैं। वहीं सियासी गलियारों में वोटिंग परसेंट घटने पर कई के मायने निकाले जा रहे हैं। वोटिंग परसेंटेज घटने को कांग्रेस अपने लिए फायदेमंद मान रही है। कांग्रेस इससे खुश नजर आ रही।जबकि भाजपा का दावा है कि वो एक बार फिर राजस्थान में 25 में से 25 सीटों पर जीत हासिल करेगी।

राजस्थान में पहले चरण के तहत वोटिंग प्रतिशत घटने पर कांग्रेस खुश दिखाई दे रही है। कांग्रेस का अपना कयास हैं कि उन्हें फायदा मिलेगा। दूसरी ओर बीजेपी भी अपनी जीत को लेकर पूरी लेकर पूरी तरह निश्चित हैं। बता दें कि पहले चरण में गंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर, दौसा, नागौर पर मतदान हुआ। लेकिन इन सीटों पर पिछली बार 2019 में 63.71% मतदान हुआ। जबकि इस बार काफी प्रयास के बाद भी इन सीटों पर 57.87 फ़ीसदी ही वोटिंग रही। जो पिछले आंकड़ों की अपेक्षा 5.84% कम है। ऐसे में कम वोटिंग प्रतिशत एक बड़ी चिंता तो है ही।

वोटिंग प्रतिशत घटने और बढ़ाने को लेकर कई सियासी मायने माने जाते हैं। आमतौर पर जब भी वोटिंग प्रतिशत बढ़ता है तो माना जाता है कि लोगों ने सत्ता के विरोध में वोट किया है और वोटिंग प्रतिशत घटता है तो यही कयास होते हैं कि मतदान सत्ता के पक्ष में हुआ है। यह अब तक के चुनाव में देखने को आया है। इस फार्मूले को राजनीतिक जानकार भी मानते हैं। लेकिन इस बार वोटिंग प्रतिशत घटने को कांग्रेस अपने लिए फायदेमंद मान रही है। जबकि बीजेपी अपनी जीत के लिए आश्वस्त है। हालांकि, वोटिंग प्रतिशत घटने से बीजेपी में भी कुछ चिंता भी है।

कम वोटिंग प्रतिशत को लेकर कांग्रेस अपने में खुश है। इस मामले में पीसीसी मेम्बर और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव सुशील असोपा का कहना है कि अब तक की धारणा यहीं हैं कि जब भी वोटिंग परसेंटेज घटता है तो, सत्ता को फायदा मिलता है। लेकिन मेरा मानना है कि इस बार महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी से आमजन बुरी तरह परेशान है। इसके कारण लोग वोट देने में उदासीन रहे हैं। इसके कारण वोटिंग परसेंटेज भी घटा है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ललित तुनवाल का भी यही कहना है कि वोटिंग परसेंटेज घटने से बीजेपी को नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में हुए 12 लोकसभा सीटों के मतदान में कांग्रेस करीब आधा दर्जन सीटों पर मजबूत स्थिति में है। मतदाताओं ने मोदी सरकार से उदासीन होकर वोट नहीं दिया है। इसका कांग्रेस को निश्चित रूप से फायदा मिल सकता है।

वहीं दूसरी ओर कम वोटिंग प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर भाजपा भी काफी उत्साहित है और अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। राजस्थान में चुनाव में वोटिंग परसेंटेज कम होने पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि किन्हीं कारणों के वोटिंग परसेंटेज घट सकता है। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। बीजेपी राजस्थान में सभी 25 सीटे जीतेगी। इसी तरह भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी का कहना है कि बीजेपी चुनाव को लेकर पूरी तरह उत्साहित है।

ग्रामीण क्षेत्रों में फसल कटाई और शादी ब्याह होने के कारण वोटिंग परसेंटेज कम हुआ है, लेकिन शहरी क्षेत्र में वोटिंग परसेंटेज अच्छा रहा है। इसी कड़ी में राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा कि लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में प्रदेश की 12 सीटों पर संपन्न हुए चुनावों में सभी मतदाताओं का आभार एवं धन्यवाद। राजस्थान में कम मतदान का मतलब लोगों में डबल इंजन सरकार और मोदी की गारंटी के प्रति मोह भंग। इसका सीधा फायदा इंडिया गठबंधन को मिलेगा।

वहीं वोटिंग प्रतिशत से इतर भी राजस्थान में सियासी पारा काफी हाई है। एक ओर भाजपा अपने पिछले लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराना चाहती है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस बार भाजपा के लक्ष्य में बड़ी सेंधमारी करने की योजना बना रही है। यही वजह है कि नेताओं द्वारा लगातार एक-दूसरे पर हमले और सियासी बयानवाजी जारी है। इस बीच राजस्थान पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने भाजपा व मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। बीजेपी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि बहुत साल पहले एक फिल्म आई थी, ‘बीस साल बाद’ वो ही अब होने वाला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में 5 न्याय और 25 गारंटी लेकर आई है। बीजेपी का काम झूठ बोलकर लोगों से वोट लेना है।

जयराम रमेश ने कहा कि पिछले दस सालों में कोई काम नहीं किया, केवल गारंटी बांटी है। गारंटी शब्द भी सबसे पहले कर्नाटक में कांग्रेस ने दिया था उसी शब्द को बीजेपी ने अपना लिया है। बीजेपी पर तंज कसते हुए जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी ने गारंटी शब्द ले लिया और काम नहीं किया है। उन्होंने चंदा दो और धंधा लो का सिस्टम शुरू कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए जयराम रमेश ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने गारंटी दी थी कि सबकी आमदनी बढ़ेगी और सबको नौकरी मिलेगी। उन्होंने सवाल पूछा कि कहां गई केंद्र सरकार की गारंटी, मोदी सरकार की गारंटी अब तो वारंटी हो गई है। वहीं राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि जो शीशे के घर में रहते हैं, उन्हें दूसरों के घर पर पत्थर नहीं मारना चाहिए।

इस दौरान जयराम रमेश ने और मुद्दों पर भी अपनी बात रखी। इंडिया गठबंधन में शामिल कम्युनिस्ट पार्टी के घोषणा पत्र में सरकार बनने पर परमाणु हथियारों को नष्ट करने और धारा 370 को पूरी तरह से लागू करने को लेकर किए गए वादों पर  जयराम रमेश ने कहा कि यह उनकी सोच है। हमारी पार्टी की सोच नहीं है। उन्होंने कहा कि देश का परमाणु शक्ति बने आज 50 साल हो गए हैं। यह इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुआ था 18 मई 1974 में हुआ था। यही हमारी पार्टी है जिसने देश को परमाणु शक्ति राष्ट्र बनाया। वहीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अबकी बार 400 पार के जीत के दावे को लेकर जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई सारी कठपुतलियां हैं। जो कहती हैं 400 पार सीटें लाएंगे। ज्योति मिर्धा, अनंत हेगड़े जैसे कई नेता हैं, जो दावा कर रहे हैं कि 400 पार सीटें आएंगी।

उन्होंने कहा कि कठपुतलियां बोल रही हैं, इसलिए 400 पार का नारा लगाया जा रहा है। जयराम रमेश ने दावा करते हुए कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में है। सभी जानते हैं वे ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स का दुरूपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार सीटों को लेकर दावा नहीं करता, लेकिन इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी। जनता को पता चल गया है, वे सिर्फ वादे करते हैं काम नहीं करते हैं। जयराम ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी। कांग्रेस भी डबल डिजिट में पहुंचेंगी। सीएए को लागू करने में पांच साल लगा दिया क्योंकि ये जनता से वोट लेना चाहते हैं।

भाजपा द्वारा राम मंदिर और भगवान राम के नाम पर वोट मांगने को लेकर कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि ये राम का नाम लेकर वोट मांग रहे हैं। राम तो सभी के हैं, मेरा नाम तो जयराम रमेश है। मेरे नाम में राम है, तो फिर राम इनके कैसे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में ने जाने का सवाल है, तो वह उनका राजनीतिक कार्यक्रम था इसलिए वह नहीं गए।

फिलहाल राजस्थान में हुए कम वोटिंग के बाद अब सियासी सरगर्मी तेज है। तो वहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से अपने-अपने दावे किए जा रहे हैं। अब आगे क्या होता है ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।

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