महाराष्ट्र में ‘DMK’ फॉर्मूला ने बिगाड़ा BJP का खेल

मुंबई। देश में लोकसभा चुनावों को लेकर सियासी पारा हाई है। देश में हर तरफ बस राजनीति ही हावी दिखाई दे रही है। कल यानी 26 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान भी होना है। ऐसे में देश के अंदर सियासी सरगरमी और भी तेज है। 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में देश के 13 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेश की 88 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। इनमें 48 लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र की भी 8 लोकसभा सीटों पर मतदान किया जाएगा। इसलिए देश के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी चुनावी हलचल तेज है। तो वहीं सत्ता पक्ष भाजपा और विपक्ष अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने का भी प्रयास कर रहे हैं।

हालांकि, इस बार 400 पार की उम्मीदों को लेकर आगे बढ़ रही भाजपा के लिए दूसरा चरण काफी महत्वपूर्ण है। ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 19 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान काफी कम हुआ था। इस कम वोटिंग को लेकर भाजपा काफी ज्यादा चिंतित है। क्योंकि बीजेपी को पहले चरण के बाद से ही अपनी हार का डर सताने लगा है। और जो उसका 400 पार का सपना है वो भी धुंधला नजर आने लगा है। यही वजह है कि इस चरण के लिए बीजेपी अब और भी मेहनत कर रही है। क्योंकि पहले चरण में महाराष्ट्र में भी काफी कम वोटिंग हुई थी। और महाराष्ट्र वो राज्य है जहां उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के बाद देश में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सीटें हैं। इस नजरिए से महाराष्ट्र हर राजनीतिक दल के लिए काफी अहम है।

और 400 पार की उम्मीदों को लेकर चल रही बीजेपी के लिए महाराष्ट्र जीतना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां वो दो क्षेत्रीय पार्टियों का विभाजन कराकर उनके भी एक-एक गुट को अपने साथ लेकर चल रही है। ऐसे में दो वैसाखियों पर खड़ी भाजपा के लिए तो महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन करना जरूरी ही हो गया है। लेकिन जिस तरह के वर्तमान हालात बने हुए हैं, उससे तो साफ है कि इस बार महाराष्ट्र में भाजपा के हालात काफी खस्ता नजर आ रहे हैं। क्योंकि एनसीपी और शिवसेना की एक-एक टुकड़ी को अपने साथ जोड़ने के बाद भी बीजेपी की दाल प्रदेश में गलती नजर नहीं आ रही है।

बल्कि उसका ये दांव और उल्टा ही पड़ता दिख रहा है। ऐसे में पहले चरण में हुई कम वोटिंग ने भाजपा की नीदें और भी उड़ा रखी हैं। इसलिए बीजेपी अब 26 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण में महाराष्ट्र की 8 सीटों पर ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने की कोशिश कर रही है। क्योंकि दूसरे चरण में जिन 8 सीटों पर महाराष्ट्र में मतदान होना है, उन 8 सीटों पर भाजपा का गेम वैसे भी फंसा हुआ है। क्योंकि यहां पर ‘डीएमके’ का समीकरण भाजपा के लिए एक चुनौती बना हुआ है।

यही वजह है कि महाराष्ट्र में पहले दौर के चुनाव में कम वोटिंग होने के बाद बीजेपी काफी घबरा गई है। क्योंकि बीजेपी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि कम वोटिंग मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के सपने के आड़े आ सकती है। लिहाजा, एक तरफ जहां उसने अपने चुनाव प्रचार में हिंदुत्व का तड़का लगाना शुरू कर दिया है। और पूरे चुनाव को एकदम से हिंदू-मुसलमान की तरफ मोड़ दिया है। तो वहीं अगले दौर के चुनावों में वोटर्स को मतदान के लिए निकालने की रणनीति पर भी काम शुरू किया है।

सूत्रों के अनुसार, संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे वोटर्स के बूथ तक आने का इंतजार न करें, बल्कि हर दो घंटे में वोटर लिस्ट की समीक्षा करने के साथ ही हर सोसायटी और घर-घर जाकर वोटर्स को बाहर निकालें। बीजेपी को अंदेशा है कि पहले दौर की कम वोटिंग के बाद अगले दौर में उसकी चुनौती और बढ़ गई है। खास तौर पर महाराष्ट्र में, जहां महा विकास आघाडी की शक्ल में इंडिया अलायंस एकजुट है और ज्यादातर सीटों पर उसने सूझ-बूझ और समन्वय के साथ उम्मीदवारों का चयन किया है। यही वजह है कि इस बार भाजपा के लिए महाराष्ट्र में राह काफी कठिन नजर आ रही है।

महाराष्ट्र में भाजपा के सामने इस चुनाव में सबसे बड़ा फैक्टर ‘डीएमके’ यानी दलित, मराठा-मुस्लिम और कुनबी एक चुनौती बनकर सामने आ रहा है। दरअसल, दूसरे दौर के चुनाव में प्रदेश में विदर्भ की पांच और मराठवाडा की तीन सीटों पर चुनाव होना है। लेकिन इनमें से कई पर बीजेपी को खूब पसीना बहाना पड़ रहा है। असल में महाराष्ट्र में दलित मतदाता विदर्भ और मराठवाडा में निर्णायक होता है। यहां बीजेपी के लिए चुनौती इसलिए कड़ी हो गई है क्योंकि विपक्ष लगातार इस बात को फैला रहा है कि भाजपा संविधान में बदलाव कर देगी। वहीं जिस तरह से भाजपा पिछले कुछ वक्त से पूरे देश में अपनी मनमानी चला रही है।

उससे विपक्ष का ये दावा और भी पुख्ता होता नजर आता है। यही वजह है कि एक ओर जहां अब यह बात फैलने लगी है कि अगर बीजेपी सत्ता में आई, तो वह बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को बदल देगी। हालांकि, पीएम मोदी बार-बार दोहरा रहे हैं कि संविधान को कोई ताकत नहीं बदल सकती, लेकिन दलितों में बाबासाहेब का दर्जा भगवान से कम नहीं है। इसलिए चाहे नवबौद्ध हों या दलित, संविधान से छेड़छाड़ की बात तक मुद्दा बनाने के लिए काफी है।. लेकिन फिर भी विपक्ष के लगातार ये दोहराने से वोटर चिंतित जरूर है और कहीं न कहीं उसके दिमाग में ये बात घूम भी रही है।

वहीं इंडिया की जगह भारत करने जैसे भाषण भी दलित समाज में शक पैदा कर चुके हैं। उसकी असली चिंता आरक्षण है। तो इस बार विपक्ष ने भी इसे मुख्य मुद्दा बना रखा है। राहुल गांधी और कांग्रेस लगातार आरक्षण के मुद्दे को उठा रहे हैं और विपक्ष के सत्ता में आने पर जाति जनगणना कराने की भी बात को जोर-शोर से उठा रहे हैं। कांग्रेस ने तो अपने घोषणापत्र में भी इस बात का काफी मुखरता से जिक्र किया है।

वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में बाबासाहेब आंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन आघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर अपनी हर सभा में बीजेपी से संविधान को खतरा होने की बात पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं।  पूरा विपक्ष एक सुर में ये कह रहा है कि अगर बीजेपी और मोदी सत्ता में लौटे, तो अगली बार चुनाव ही नहीं होगा। तो वहीं पिछले कुछ दिनों से भाजपा जिस तरह की तानाशाही चला रही है और विपक्ष को दबाकर उनकी आवाज को दबाकर लोकतंत्र पर हमला कर रही है। उससे विपक्ष के आरोप और भी मजबूत होते हैं। और खतरा बीजेपी पर ही बढ़ रहा है।

दूसरी तरफ, महाराष्ट्र में मराठा समाज भी आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करता रहा है। और प्रदेश की भाजपा-शिंदे सरकार के लिए एक चुनौती बना रहा है। भले मनोज जरांगे पाटिल ने साफ तौर पर किसी का समर्थन करने से मना कर दिया। लेकिन वह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को जिस तरह कोसते घूम रहे हैं, उससे मराठा समाज में बीजेपी के खिलाफ संदेश जा रहा है। और वैसे भी मनोज जरांगे का प्रदर्शन प्रदेश की सत्ता के खिलाफ ही था। जिस सत्ता में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में शामिल है। जालना में जिस तरह से मराठा आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठियां चलाईं, उसके विडियो मराठा समाज के वॉट्सऐप ग्रुप पर अब भी घूम रहे हैं।

जिससे मराठा समाज में सरकार और भाजपा के प्रति आक्रोश है। राज्य में मराठा समाज की भूमिका भी काफी अहम है। और वो हार-जीत में काफी अहम भूमिका निभाता है। प्रदेश में मराठा समाज करीब 30 फीसदी तक माना जाता है। अगर ये नाराज हुए, तो बीजेपी के कई दिग्गज नेता मुश्किल में आ सकते हैं। और प्रदेश में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। इतना ही नहीं इसके अलावा मराठवाडा में मुस्लिम समाज भी पूरी तरह से ही बीजेपी के खिलाफ नजर आ रहा है। प्रदेश में इनकी संख्या भी कहीं 7 फीसदी, तो कहीं 13 फीसदी तक है।

इसके अलावा विदर्भ और मराठवाडा तक फैला कुनबी समाज पहले से बीजेपी के विरोध में खड़ा दिखाई दे रहा है। ऐसे में, राज्य में अब यदि कोई बड़ा मुद्दा नहीं आया, तो बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। क्योंकि एक तो पहले चरण में हुआ कम मतदान भाजपा के लिए वैसे ही चिंता बढ़ा रहा है। ऊपर से अब दूसरे चरण में भी जिन सीटों पर मतदान होना है, वहां भी बीजेपी की हालत खस्ता ही नजर आ रही है। ऐसे में अबकी बार 400 पार की उम्मीदों को लेकर आगे बढ़ रही भाजपा के लिए 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में इस बार डगर काफी कठिन नजर आ रही है।

क्योंकि एक तो जिन शिवसेना और एनसीपी को तोड़कर भाजपा ने अपने साथ मिलाया है। उनके बड़े नेता विपक्ष में ही हैं। और उनको जनता का समर्थन और सिम्पैथी दोनों ही मिल रहे हैं। जिससे भी भाजपा का खेल बिगड़ता दिखाई पड़ रहा है। इससे इतर वर्तमान हालात भी भाजपा के पक्ष में जाते नहीं दिखाई पड़ रहे हैं। फिलहाल अब देखना ये है कि चुनाव किस करवट बैठता है। फिलहाल अभी तो महाराष्ट्र में भाजपा मुश्किल में ही दिखाई पड़ रही है।

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