भीषण बाढ़ से जो धान बचा था उसको बिना रिश्वत लिये कोई धान केन्द्र पर लेने को तैयार नहीं

No one is ready to take the paddy left from the severe floods at the paddy center without taking bribe.

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखीमपुर खीरी। भीषण बाढ़ से पलिया में 9075 हेक्टेयर, गोला में 3200 हेक्टेयर, निघासन में 17700 हेक्टेयर, धौरहरा में 11250, और लखीमपुर में 1965.432 हैक्टेयर क्षेत्रफल में बोई गई फसलें तबाह हो गईं। सबसे ज्यादा धान और गन्ने की फसल का नुकसान हुआ है। तराई के अधिकांश किसान पूरी तरह खेती किसानी पर ही निर्भर थे। फसलों की तबाही से उनके बच्चों की पढ़ाई, शादी विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर तो ग्रहण लगा ही है, किसानों की जेब खाली है।

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किसानों का कहना हैं भीषण बाढ़ से जो छोटा मोटा धान बचा था, उसको बिना रिश्वत लिये कोई धान केन्द्र पर लेने को तैयार नहीं है। सतनाम सिंह इससे काफी परेशान हैं वो अपना नंबर (9839508987) देते हए कहते हैं की दो ढाई महीने से धान पड़ा हैं वो लोग धान खरीद में पैसे मांगते हैं। ऐसे में सवाल उठता हैं कि सरकारी व्यवस्था इतनी खराब है कि बिना रिश्वतखोरी के कोई काम ही नहीं होता।

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