दिल को मजबूूत करेंगे ये योगासन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हृदय एक ऐसा अंग है जो लगातार ब्लड को पंप कर के ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। यह अगर अपने नियमित कार्य को सही से नहीं कर पाता है तो इससे कई तरह के रोग उत्पन्न होते हैं । यहां स्वास्थ्य की स्थिति मुख्य रूप से रक्त वाहिकाओं और संचार प्रणाली से संबंधित होती है। भारत समेत दुनियाभर में हृदय रोग की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। कोविड काल के बाद हृदय रोग का जोखिम भारतीयों में काफी बढ़ा है। उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मोटापा और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण हृदयाघात और स्ट्रोक समेत हृदय संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक , हृदय रोग भारत में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। हृदय रोग से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली, पौष्टिक खानपान के साथ ही योग और व्यायाम करना अच्छा हो सकता है। जिनके नियमित अभ्यास से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है और कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
सेतुबंधासन
सेतुबंधासन योग शारीरिक निष्क्रियता की समस्या को दूर करता है और मांसपेशियों व हड्डियों को स्वस्थ रखने और रक्त का संचार बढ़ाने में काफी कारगर अभ्यास माना जाता है। इस योग का नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत को ठीक रखने में विशेष लाभप्रद हो सकता है। सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के शिकार लोगों को दिनचर्या में इस योग को जरूर शामिल करना चाहिए। इसके लिए कमर के बल लेटकर दोनों पैरों को मोड़ लें, पैरों में थोड़ा-सा अंतर रहेगा। हाथों से पैरों के टखने पकड़ लें, यदि टखने पकडऩे में असुविधा हो तो हाथों को जंघाओं के पास जमीन पर रख लें। सांस भरकर, सांस निकाल दें और पेट को अंदर की ओर दबाएं। सिर, कंधे जमीन पर रखते हुए पैरों पर भार डालकर कमर को ऊपर उठा लें। यहां ठुड्डी, छाती से लग जाएगी। सामान्य सांस के साथ यथाशक्ति रुके रहें। फिर सांस छोड़ते हुए वापस आ जाएं। इस प्रकार चार से पांच बार इसका अभ्यास कर लें। हर्निया, अल्सर व गर्दन दर्द में इसका अभ्यास न करें। बोलचाल में अनावश्यक शब्दों का प्रयोग ना करें। शब्द संभाल कर और प्रेमपूर्वक होने चाहिए। किसी को कष्ट पहुंचाने वाले शब्द ना हों। नए-नए शब्दों का प्रयोग बोलचाल में कीजिए, जिससे आपकी भाषा मजबूत होगी।
वीरभद्रासन
योग विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी योगासन से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए उसका सही तरीके से अभ्यास किया जाना आवश्यक माना जाता है। वीरभद्रासन योग की कई मुद्राएं हैं, ऐसे में किसी विशेषज्ञ से बेहतर प्रशिक्षण के बाद ही इस अभ्यास की शुरुआत करें। इस योग के लिए सबसे पहले सीधी मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब अपनी बाहों को फर्श के समानांतर उठाते हुए सिर को बाईं ओर मोड़ें। बाएं पैर को भी 90 डिग्री बाईं ओर मोड़ें। कुछ देर तक इस अवस्था में बने रहें। इसी तरह से दूसरी तरफ का भी अभ्यास करें। इस योग को करने से दिल के मरीजों को काफी राहत मिलती है। और समस्या दूर होती है।
त्रिकोणासन
त्रिकोणासन योग विज्ञान का महत्वपूर्ण आसन है। त्रिकोणासन संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है। इसका हिंदी में अर्थ है, तीन कोण वाला आसन। इस आसन को करने के दौरान शरीर की मसल्स तीन अलग कोणों में स्ट्रेच हो जाती हैं। इसी वजह से इस आसन को त्रिकोणासन कहा जाता है। त्रिकोणासन बिगिनर लेवल का बेहद आसान आसन है। इस आसन को विन्यास शैली का आसन माना जाता है। इसे करने की अवधि 30 सेकेंड बताई गई है। इस आसन के अभ्यास से फेफड़े मजबूत होते है। पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। हृदय रोग की समस्या से निजात पाने के लिए त्रिकोणासन का अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होकर पैरों के बीच करीब दो फीट की दूरी रखें। गहरी सांस लेते हुए शरीर को दाईं ओर झुकाएं और बाएं हाथ को ऊपर की तरफ ले जाएं। नजरें भी बाएं हाथ की उंगलियों पर टिकाकर कुछ देर इसी स्थिति में रहें। पुरानी अवस्था में दोबारा आ जाएं।
वृक्षासन
वृक्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, वृक्ष यानी कि पेड़ जैसा आसन। इस आसन में योगी का शरीर पेड़ की स्थिति बनाता है और वैसी ही गंभीरता और विशालता को खुद में समाने की कोशिश करता है। वृक्षासन से तनाव कम होता है, मस्तिष्क शांत रहता है और हृदय रोग की समस्या से बचाव होता है। इस आसन को करने के लिए बाएं पैर को सीधा रखते हुए संतुलन बनाए रखें। गहरी सांस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाएं। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए बाएं तलवे को दाहिनी जांघ पर रखें। इसी प्रक्रिया को दोहराएं।