सभी महिलाओं के लिए है कोर्ट का ये फैसला

  • वसीम कादरी ने उठाया था सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भरण-पोषण का मुद्दा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं। इस मामले में पति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस वसीम ए कादरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मुद्दा उठाया गया था कि क्या सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन लागू किया जा सकता है।
एक तलाकशुदा महिला द्वारा पोषणीय या वह विशेष अधिनियम की धारा 3 के तहत आवेदन दायर करने की हकदार है…लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे आगे बढक़र कहा है कि इस मुद्दे के अलावा, महिला यदि वह एक गृहिणी है और उसके पास कोई स्रोत नहीं है आय – संयुक्त खाता बनाए रखने का अधिकार है, इसलिए यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह केवल तलाकशुदा महिला या मुस्लिम महिला पर लागू नहीं होता है सभी महिलाओं के लिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने फैसले का स्वागत किया

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने मुस्लिम महिलाओं के लिये गुजारा भत्ता मांगने के अधिकार की पुष्टि करने वाले उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला सभी महिलाओं के लिए लैंगिक समानता एवं न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

मुस्लिम महिलाओं की प्रार्थनाओं का है परिणाम : शाजिया इल्मी

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर कि मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं, भाजपा नेता शाजिया इल्मी का कहना है,यह एक ऐतिहासिक फैसला है और सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए राहत है। इस फैसले के तहत, कोई भी तलाकशुदा मुस्लिम महिला मांग कर सकती है। सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण भत्ते की मांग को पूरा करना अनिवार्य होगा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह किसी भी तरह का दान नहीं है और एक तलाकशुदा महिला अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है और इस धारा के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती है। मुझे लगता है कि यह बहुत सारी मुस्लिम महिलाओं की प्रार्थनाओं का परिणाम है।

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