जोशीमठ में नहीं बना सकेंगे नया मकान, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट में खुलासा

देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक 130 पेज की रिपोर्ट सबमिट की है। एनडीआरएफ ने जोशीमठ पर धंसने के संकट के बाद पीडीएनए रिपोर्ट यानी ‘पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट’ में लिखा है कि जोशीमठ को अब ‘नो न्यू कंस्ट्रक्शन जोन’ घोषित करना चाहिए। जोशीमठ पर अभी तक कुल आठ रिपोट्र्स सबमिट की जा चुकी हैं। इन रिपोट्र्स को राज्य सरकार ने पिछले कई महीनों से सार्वजनिक नहीं किया था।
उत्तराखंड के हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इन रिपोट्र्स को प्राइवेट रखने के फैसले पर सवाल उठाए थे। इसके बाद यह रिपोट्र्स सामने आई हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी में आठ संस्थानों को जोशीमठ और आस-पास के इलाकों में जमीन के धंसने पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। इन संस्थानों को इस तरह की आपदा से निजात पाने के लिए उपाय बताने को भी कहा गया था।
बता दें कि कुछ महीनों पहले ही जोशीमठ में जमीन धंसने की वजह से पूरे शहर का भविष्य संकट में आ गया था। पहाड़ी शहर वैसे तो अपने खूबसूरती के लिए बहुत फेमस था लेकिन जमीन के धंसने की घटना से यहां पर कई मकानों में दरारें पड़ गई थीं और आम लोगों को खतरे वाले घरों से निकालकर सुरक्षित शेल्टर्स में शिफ्ट किया गया था। वहीं कुछ बिल्डिंग जो कि खतरे को जन्म दे सकती थीं, उन्हें गिराया गया था।
इन संस्थानों ने जनवरी के आखिरी में ही अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट एनडीआरएफ को सौंप दी थी। इन्ही रिपोट्र्स को राज्य सरकार को सौंपा गया था लेकिन कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। हाई कोर्ट के दखल के बाद इन रिपोट्र्स को राज्य सरकार ने एक सीलबंद लिफाफे में हाई कोर्ट के विचार के लिए पहुंचाया। रिपोट्र्स के मुताबिक जोशीमठ के मकानों की खराब डिजाइन, मिट्टी की वहन क्षमता पर केंद्रित है। रिपोट्र्स में मेंशन है कि यह पूरा शहर लैंड स्लाइड में जमा हुई मोराइन मिट्टी या ढीली मिट्टी पर बसा हुआ है।इकेंद्र सरकार ने जोशी मठ के पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए 1,465 करोड़ रुपये के पैकेज की सैद्धांतिक मंजूरी दी है।

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