नाभा जेल ब्रेक मामला फिर गरमाया, यूपी एसटीएफ चीफ अमिताभ यश पर उठी उंगली

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नाभा जेल ब्रेक कांड, जिसने पंजाब में भूचाल ला दिया था। पुलिस की वर्दी में घुसे बदमाश जेल से छह खूंखार गैंगस्टर छुड़वा ले गए थे। एक बार उसकी चर्चा फि र से होने लगी है। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने पंजाब के नाभा जेल ब्रेक कांड के अभियुक्त गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी घनश्यामपुरिया को सितंबर 2017 में यूपी की पुलिस एजेंसी द्वारा शाहजहांपुर में पकड़ कर पैसे लेकर छोड़े जाने के आरोपों की दोबारा जांच हेतु गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजा है।
आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष ने कहा है कि सितंबर 2017 में घनश्यामपुरिया को आईजी स्तर के एक अधिकारी द्वारा एक करोड़ रुपए लेकर छोड़े जाने के आरोप पंजाब पुलिस के माध्यम से आए थे, इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने तत्कालीन एडीजी लॉ ऑर्डर आनंद कुमार से जांच कराई थी, जिन्होंने मामले में आईजी एसटीएफ अमिताभ यश को क्लीन चिट दिया था।

अमिताभ यश को मिली थी क्लीन चिट

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि यह जांच रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई किंतु अमिताभ यश द्वारा पत्रकार मनोज राजन त्रिपाठी के खिलाफ लिखवाए गए मानहानि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में इस जांच से संबंधित कई तथ्य अंकित है। इसके अनुसार इस मामले में पंजाब पुलिस के पास सबूत के तौर पर कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग भी थे। स्पेशल टास्क फोर्स के आईजी अमिताभ यश को प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरविंद कुमार ने तलब किया था। मीडिया से बात करते हुए यश ने टास्क फोर्स के सदस्यों द्वारा पंजाब के किसी भी अपराधी को हिरासत में लिए जाने या रिहा किए जाने के आरोप से इनकार किया। तत्कालीन डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा था कि कथित सौदे के बारे में बातचीत के ऑडियो टेप की गहन जांच की जाएगी और जरूरत पडऩे पर उसे सबूत के तौर पर लिया जाएगा।

तत्कालीन आईजी एटीएस असीम अरुण ने तीन लोगों को किया था गिरफ्तार

तत्कालीन आईजी एटीएस व वर्तमान में भाजपा सरकार के मंत्री असीम अरुण ने सामने आए तथ्यों के आधार पर तीन लोगों को गिरफ्तार कर पंजाब पुलिस को सुपुर्द किया था। इनमें एक व्यक्ति तत्कालीन आईजी इंटेलीजेंस आर के चतुर्वेदी के निकट संबंधी थे, जिनसे भी पूछताछ की गई थी।

साढ़े सात साल बाद आया फैसला

नाभा जेल ब्रेक कांड में अदालत ने असिस्टेंट जेल सुपरिटेंडेंट सहित 22 आरोपितों को दोषी करार दिया है, जबकि छह आरोपित बरी कर दिए। अदालत सजा पर फैसला गुरुवार को सुनाएगी। 2016 के इस मामले में अदालत ने साढ़े सात साल के बाद 22 आरोपितों को दोषी करार दिया है।

एनआईए पूरे मामले की गहन जांच करे : अमिताभ ठाकुर

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि इस मामले में सामने आए तथ्यों और एटीएस द्वारा तीन लोगों को गिरफ्तार कर पंजाब पुलिस को सौंपे जाने से पुलिस पर लगे आरोपों को काफी बल मिलता है, जिसकी कभी भी गहनता से जांच नहीं की गई । अत: उन्होंने एनआईए से इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है।

मैप बनाकर हुआ था हमला

पुलिस ने खुलासा किया था कि वारदात का मास्टरमाइंड रोमी है। सभी बदमाश पटियाला के पास मुदकी में इक_े हुए थे। चार गाडिय़ों को लूटा गया था। फिर नकली नंबर प्लेट लगाई गईं। ये नंबर प्लेट एक्टिवा और स्कूटी की थीं। जिसके बाद इन लोगों ने वर्दी पहनी। 12 लोग इन गाडय़िों में नकली पुलिसवाले बनकर जेल पहुंचे। वारदात के बाद सभी आरोपी एक साथ कैथल आए थे। फिर वहीं से अलग-अलग हुए। पिंदा लूट के मामले में नाभा जेल में रह चुका था। उसने ही जेल का मैप तैयार किया था। दूसरे बदमाश प्रेमा ने बदमाश इक_ा किए थे। बदमाशों को शरण असलम ने दी थी। जो सोनीपत का शूटर था। हथियार मनी नाम के शख्स ने जुटाए थे।

यूपी पुलिसकर्मियों को मिले थे 50 लाख रुपये!

गिरफ्तार गैंगस्टर गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी घनश्यामपुरिया की सुरक्षित रिहाई के लिए धन की व्यवस्था करने का मामला और भी संदिग्ध हो गया है। पंजाब में कुछ शराब ठेकेदार और जेल के कैदी एक गैंगस्टर की रिहाई के लिए यूपी पुलिसकर्मियों को 50 लाख रुपये का इंतजाम करने के आरोप में जांच के घेरे में हैं। खुफिया शाखाओं से प्राप्त जानकारी से पता चलतौ कि पंजाब में कुछ जेल में बंद कैदियों ने बाहर अपने समकक्षों से संपर्क कर इतनी बड़ी रकम की जरूरत के बारे में विस्तार से बताया और यह भी बताया कि गैंगस्टर अब कैसे लापता है। विवाद में आरोप यह है कि उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने जेल ब्रेक मामले के एक आरोपी गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी घनश्यामपुरिया को 10 सितंबर को शाहजहांपुर से उठाया था।

यूपी के आईपीएस अफसर का नजदीकी था पिंटू

उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के आदेश दे दिए थे, वहीं पंजाब के खुफिया विभाग के अधिकारी सुल्तानपुर के संदीप तिवारी उर्फ पिंटू और शराब ठेकेदार रणदीप सिंह उर्फ रिम्पल से पूछताछ की थी। पिंटू से लगातार पूछताछ से पता चला कि उसने हाल ही में उप्र में चुनाव लड़ा था और वह प्रदेश के एक आईपीएस अधिकारी का करीबी रिश्तेदार है, जिसके कारण वह पंजाब में अपराध करने के बाद उत्तर प्रदेश पहुंचने में कामयाब रहे गैंगेस्टरों की मदद करने में सहायक था। इस मामले को संभाल रहे पंजाब के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा था कि कथित तौर पर पिंटू ही डील करवाने की पूरी कोशिश कर रहा था। हालांकि गुरप्रीत की गिरफ्तारी और डील होने के बाद, कोई नहीं जानता कि क्या हुआ। शराब ठेकेदार रिम्पल और पिंटू की गिरफ्तारी के दो दिन बाद, दो अन्य – पीलीभीत के हरजिंदर सिंह और रुद्रपुर के अमनदीप सिंह – को भी गिरफ्तार कर लिया गया। खुफिया अधिकारियों ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला है कि अमृतसर सेंट्रल जेल में बंद गैंगस्टर बलजिंदर सिंह उर्फ ढोली का गुरप्रीत से संबंध था। उसने कथित तौर पर पैसे का इंतजाम करने के लिए रिम्पल से संपर्क किया था।

Related Articles

Back to top button