देश में जल्द शुरू हो सकता है बच्चों के लिए भी टीकाकरण अभियान

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रफ्तार अब धीमी पड़ रही है। महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश में तेजी से टीका लगाया जा रहा है । ड्रग मेकर जाइडस कैडिला ने गुरुवार को इसके वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मांगी । ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से मंजूरी मिलने के बाद 12+ साल के बच्चों का टीकाकरण शुरू किया जा सकता है।
कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध में भारत को जल्द ही एक और हथियार मिलने वाला है। कैडिला वैक्सीन का तीसरा चरण परीक्षण पूरा हो चुका है। अगर सरकार से मंजूरी मिलती है तो जुलाई के अंत तक या अगस्त में 12-18 साल की उम्र के बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी।
अगर केंद्र सरकार इस वैक्सीन को मंजूरी देती है तो फिर भारत में दूसरा स्वदेशी टीका होगा। इससे पहले भारत बायोटेक के कोरोना वैक्सीन कोवक्सिन को मंजूरी मिल चुकी है और जब से टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है, तब से कोवक्सिन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
अध्ययन में पाया गया कि जाइडस कैडिला का कोरोना वैक्सीन 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित है । इसे फार्माजेट सुई फ्री एप्लीकेटर की मदद से लागू किया जाएगा। इसके लिए सुई की जरूरत नहीं होती। दवा को सुईरहित इंजेक्शन में भरा जाता है, फिर इसे एक मशीन में डालकर बांह पर लगाया जाता है। मशीन पर बटन क्लिक करने से वैक्सीन की दवा शरीर के अंदर पहुंच जाती है।
कंपनी ने सालाना 10-12 करोड़ डोज बनाने की बात कही है। इस टीके की कुल तीन खुराक ली जानी है। सभी तीन खुराक सुई के उपयोग के बिना ली जा सकती हैं, जो साइड इफेक्ट के जोखिम को कम करने के लिए माना जाता है ।
इसके के साथ एक और अच्छी बात यह है कि तापमान को मिंटेन करने का झंझट न के बराबर है। जिसका अर्थ है कि इसमें अच्छी थर्मोस्थेबिलिटी है। इस कारण कोल्ड चेन आदि का झंझट नहीं रहेगा, जिसके कारण अब तक वैक्सीन की कमी हो रही थी। प्लाज्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म पर वैक्सीन बनाना आसान बनाता है। इसके लिए न्यूनतम जैव सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ वेक्टर से संबंधित रोग प्रतिरोधक क्षमता की कोई समस्या नहीं है।
प्लाज्मिड आधारित डीएनए वैक्सीन एंटीजन-विशिष्ट प्रतिरक्षा को बढ़ाकर काम करता है, जो संक्रमण से लडऩे में मदद करता है। प्लाज्मिड डीएनए वैक्सीन होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे 2-8 डिग्री के तापमान में रखा जा सकता है। भारत का दूसरा कोरोना वैक्सीन कोवक्सिन बायो सेफ्टी लेवल 3 लैब में बनाया गया है। साथ ही लेवल 1 लैब में ही जाइडस वैक्सीन बनाई जा सकती है।
इसके लाभों के बारे में बात करते हुए, इस प्रकार का निर्माण बी-और टी-कोशिकाओं दोनों को सक्रिय करता है, वैक्सीन को बेहतर बनाता है, किसी भी संक्रामक एजेंट की अनुपस्थिति की पुष्टि करता है, साथ ही बड़े पैमाने पर उत्पादन की सुविधा प्रदान करता है।

Related Articles

Back to top button